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वो पत्थर के छोटे छोटे टुकड़े

अलका जैन
(इंदौर)

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वो पत्थर के छोटे छोटे टुकड़े
जिन्हें हम सितोलिया पुकारते
उन सात पत्थर की कीमत अनमोल
जब मुल्याकं किया बुढ़ापे में आदमी ने
वो महफ़िल जो बेमक़सद सजती रही
मेरी आपकी हमारी चोखट पे आये दिन
जिन महफ़िलो में फजीते रहते थे खाने के
जिन महफ़िलो में लिबास को तवज्जो नहीं
वो शुद्ध यारी दोस्ती की महफ़िल अनमोल
याद आते हैं वो दिन अनमोल यारी दोस्ती
यार के एक आवाज पर जान देने की आरजू
वो सिगरेट के छोटे छोटे खश खींचना चुपके
वो दारु पीने की जुगाड करना चुपके चुपके
वो हसीना को बेवजह घूरना फिरके कसना
वो बेफिक्री जाने किधर गुम गई जिंदगी से
वो पत्थर के छोटे छोटे टुकड़े सितोलिया
जिंदगी तेरा कही ख़तम अब मृत्यु
बुला रही है सितोलिया

परिचय :- इंदौर निवासी अलका जैन की शिक्षा बी.एससी. है, शायरी के लिए आप गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर हैं और मालवा रत्न अवार्ड से नवाजी गईं हैं, फर्स्ट वाल पर १००० लोगों ने आपकी रचनाओं को पसंद किया है। आकाशवाणी दूरदर्शन अखबारों मै लेख गजल कहानी गीत प्रकाशित, आप भजन सत्संग व फैशन का शोक नृत्य कला में प्रवीण हैं आपने गैस एजेंसी का संचालन किया है आप वर्तमान मै ग्रहणी हैं।


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