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ज़िंदगी…”एक दीप तेरे दर रख आया”

निर्मल कुमार पीरिया
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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मन प्रीत माटी को गूंथ,
प्रेम रंग से दिया रँगा,
मिलन आस की बाती धर,
चाहत से था रहा भीगा…

गढ़ रहा हूं प्रेमदीप को,
अरमानो के नीर से,
उलझनों की अमा मिटाने,
रौशन करता पीर से…

सह तपन तू रोक रहा है,
परवाने को मिटने से,
आह उपजती एक साथ ही,
नादा अंग सामने से…

कर उजाला तम से लड़ता तू,
वास्ते औरो जलता आया,
तले तेरे भी उजियारा हो,
बन दीप तेरे दर जल आया…

परिचय :- निर्मल कुमार पीरिया
शिक्षा : बी.एस. एम्.ए
सम्प्रति : मैनेजर कमर्शियल व्हीकल लि.
निवासी : इंदौर, (म.प्र.)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं


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