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उड़ान

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)

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पिता बेटी की आँखों में देखता
सपने, कल्पनाएँ
अन्तरिक्ष में उड़ानों के
पंख संजोता सपनों में।
मन ही मन बातें करता
बुदबुदाता
मेरी बेटी का ध्यान रखना
जानता हूँ अन्तरिक्ष में
मानव नहीं होते
इसलिए हेवानियत का
प्रश्न नहीं उठता।
पिता हूँ
फिक्र है मुझे
बड़ी हो चुकी बेटी की
छट जाते है, जब भ्रम के बादल
तब दूर से सुनाई देती है
भीड़ भरी दुनिया में
उत्पीडन की आवाजें
उन्हें रोकने का बीड़ा उठाती
बेटी की आक्रोशित आँखे।
देती चीखों के उन्मूलन का
देखता हूँ विस्मित नज़रों से
फिर से संजोये सपनो को
बेटी की आँखों में
उडान
उत्पीडन से निपटने की
होंसलो, कल्पनाओ के साथ।

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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