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मतलब की नदी

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)

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नकारात्मक कविता का पक्षधर नहीं
व्यवहारिक जीवन अनुभव बड़ा महती है

क्योंकि तारीफों के पुल के नीचे से तो
मतलब की नदी ही बहती है।

हर आँगन लोग पलते पनपते हैं
कितने रिश्ते समाज परिवार में गढ़ते हैं

उपलब्धियों पर तारीफों में कहे लफ्ज़
निश्चित ही सुंदर भविष्य रचते हैं।

पर वाकिफ होंगे जनाब आप भी
निश्फिकरी मय बोली रद्दी रहती है

क्योंकि तारीफों के पुल के नीचे से तो
बस मतलब की नदी ही बहती है।

लोक प्रदर्शन कार्य भी अति जरूरी होते
दिनचर्या के उचित वक़्त में सम्पादित होते

उन्हें पालने स्थल पर जब जाते हैं
उत्सर्ग भाव का एहसास कर जाते हैं

जन्म लेता तब एक व्यक्तित्व यहां पर
अपनत्व से भरी राह खुदी बनती है

क्योंकि तारीफों के पुल के नीचे से तो
बस मतलब की नदी ही बहती है।

राजनीति गलियारों को समझ चुके
मोटी चर्बी बेशर्मी बोली से कान पके

पक्ष-विपक्ष का जोर खत्म नहीं होगा
विरोध स्वरों का नित आलिंगन होगा

पोषक तत्वों की कपट कहानी कहती है
सत्ता की लालच में मात्र बदी दिखती है

क्योंकि तारीफों के पुल के नीचे से तो
बस मतलब की नदी ही बहती है।

श्रेयस्कर दिख पाना कुछ की जात नहीं
हाल चाल समझ, पूछ-परख स्वभाव नहीं

उपलब्धियां दिख पाना उनको रास नहीं
श्रेय शब्द भाव संयोजन की आस नहीं

प्रमुख अवसरों पर भी चुप रह जाते हैं
संगदिल पर जलन तलवार लदी रहती है

क्योंकि तारीफों के पुल के नीचे से तो
बस मतलब की नदी ही बहती है।

वक़्त आने और गुजरने का ईनाम है
व्यक्ति के वक्तव्यों का दुनिया में ईमान है

क्या लाया? क्या ले जाने का नाम जहान है
निःस्वार्थ भाव से किया कर्म महान है

दर्शन और प्रदर्शन मध्य मामूली अंतर है
अंतर्मन के मंसूबों को भी सदी सहती है

क्योंकि तारीफों के पुल के नीचे से तो
बस मतलब की नदी ही बहती है।

नकारात्मक कविता का पक्षधर नही
व्यवहारिक जीवन बड़ा महती है

क्योंकि तारीफों के पुल के नीचे से तो
बस मतलब की नदी ही बहती है।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति :१९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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