रूपेश कुमार
(चैनपुर बिहार)
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तुम्हारा मुझे एक टक निहारना
मुझें बहुत याद आता है,
तुम्हारा दुपट्टे में मुँह छिपा कर मुस्कुराना,
मुझें बहुत याद आता है,
नित्य नये-नये खत लिख कर देना,
मुझें बहुत याद आता है,
ऊपर से गुस्सा होना और भीतर ही भीतर
मुझें दिल से मानना,
मुझें बहुत याद आता है,
तुम्हारा मुझपर अपना हक़ जमाना,
मुझें बहुत याद आता है,
मुझसे रूठना, बातें ना करना लेकिन
मेरी खुशियों की दुआ करना,
मुझें बहुत याद आता है,
छुप-छुप कर मेरा स्टेटस देख मुझे याद करना,
मुझें बहुत याद आता है,
मेरी छोटी-छोटी बातों पर मुझसे झगड़ा करना,
मुझें बहुत याद आता है,
मेरी धड़कनों को अपना एहसास बनाना,
मुझें बहुत याद आता है,
मेरी हर एक रचना को दिल से पढ़ना,
मुझें बहुत याद आता है,
तुम्हें अपने प्यारे सूट मे देखना,
मुझें बहुत याद आता है,
तुम्हारे अधरों का रक्तिम लिपस्टिक,
मुझें बहुत याद आता है,
कभी-कभी मेरी बातों पर रूठ कर रोना,
मुझें बहुत याद आता है,
याद आती है मुझें, तुम्हारी हर वो अदा,
जो तुम्हें पसंद हो और….
तुम्हें जो नापसंद हो, वो भी मुझें,
बहुत याद आता है!
परिचय :- रूपेश कुमार
शिक्षा – स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
निवास – चैनपुर, सीवान बिहार
सचिव – राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान
प्रकाशित पुस्तक – मेरी कलम रो रही है
सम्मान : कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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