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आओ इस बार अपने मन के अंदर बैठे हुए रावण का अंत करें

श्रीमती शोभारानी तिवारी
इंदौर म.प्र.

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                                                          हम हर वर्ष दशहरा में बुराई का प्रतीक रावण का पुतला जलाते हैं। पुतलों की ऊंचाई हर बार बड़ी और बड़ी होती जाती है। रावण का पुतला दहन कर हम अपने आप को राम के तुल्य मान लेते हैं, और खुश हो जाते हैं। आपको मालूम है कि रावण अपने बड़ी-बड़ी आंखों को दिखाकर और बड़े बड़े दांत दिखाकर जोर-जोर से हंसता है, और कहता है कि रे! मानव तुम लोग मुझे जिंदा जला नहीं सकते, इसलिए कागज का जला कर ही खुश हो जाते हो। मैं मरता कहां हूं? मैं तो हर वर्ष और अधिक शक्तिशाली होकर तुम्हारे सामने प्रकट हो जाता हूं, और तुम लोग मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। सही भी तो है कि अगर हम अपने अंदर बैठे हुए रावण (बुराई) का अंत कर दे, तो फिर रावण के पुतले को जलाने की आवश्यकता ही नहीं होगी। आज हर मानव के मन में दानव कुण्डली मारकर बैठा है जैसे झूठ, फरेब, बेईमानी, धोखेबाजी, बलात्कारी। इन वहशी दरिंदों ने तो मानव पर प्रदर्शन चिन्ह लगा दिया है। इनका अंत करना जरूरी है। रावण तो सीता का अपहरण किया था, लेकिन लंका में भी वह बिल्कुल सुरक्षित थी। आज तो रावण न केवल सीता का अपहरण करते हैं, उसकी अस्मिता को तार-तार कर देते हैं बल्कि उसे जिंदा भी जला देते हैं, और उसका अस्तित्व समाप्त कर देते हैं। रावण इसलिए भी हंस रहा था, कि बरसों पहले मुझे राम के ने मार दिया था, तब से लेकर अब तक कोई दूसरा राम पैदा ही नहीं हुआ जो मुझे मार सके। मैं तो कब से राम का इंतजार कर रहा हूं। इस दशहरे पर आइए हम संकल्प करें कि राक्षस रूपी रावण जो हमारे दिल में बैठा है उसका अन्त करें, तभी बुराई पर अच्छाई की जीत होगी, और दशहरा मनाना सार्थक होगा।

परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी
पति – श्री ओम प्रकाश तिवारी
जन्मदिन – ३०/०६/१९५७
जन्मस्थान – बिलासपुर छत्तीसगढ़
शिक्षा – एम.ए समाजश शास्त्र, बी टी आई.
व्यवसाय – शासकीय शिक्षक सन् १९७७ से वर्तमान में शासकीय हिन्दी प्राथमिक विद्यालय क्र. ६४ इन्दौर में प्रधानाचार्य
किसी क्षेत्र में उपलब्धियों का विवरण –
श्रेष्ठ शिक्षक अवार्ड ५ सितंबर२०१५
उत्कृष्ट शिक्षक अवार्ड (आइसेक्ट यूनिवर्सिटी) २०१३
एक्सिलेंस टीचर्स अवार्ड (पत्रिका द्वारा) इंदौर २०१५
मालव रत्न अवार्ड इन्दौर २०१६
राज्य स्तरीय पुरस्कार दैनिक विनय उजाला २०१६
शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट सम्मान (साहित्य कलश द्वारा ) २०१८
प्रकाशित रचनाओं की संख्या – ६०
प्रकाशित पुस्तकों की संख्या – ०१
विधा – काव्य (एक उड़ान उन्मुक्त गगन में )

प्राप्त सम्मान :-
जे एम डी पब्लिकेशन द्वारा हिन्दी सेवी सम्मान (दिल्ली) २०१२
साहित्य रत्नाकर सम्मान (लखनऊ) २०१५
माहेश्वरी सम्मान (भोपाल) २०१५
डाँ. महाराज कृष्ण स्मृति सम्मान (शिलांग) २०१५ स्वर्ण पदक
विकल सम्मान (उत्तर प्रदेश) २०१६
विद्या वाचस्पति पुरस्कार (भागलपुर बिहार) २०१६
साहित्य भूषण एवं नारी रत्न सम्मान (रायपुर)
रविन्द्रनाथ ठाकुर सारस्वत साहित्य सम्मान (कोलकाता) २०१५
महिला गौरव सम्मान (खण्डवा) २०१७
१० कलमवीर सम्मान (ग्वालियर) २०१७
११ राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. (hindirakshak.com) द्वारा – हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान, कुल ४३ अवार्ड
काव्य पाठ का विवरण :-
आकाशवाणी से कविताओं का प्रसारण १६ वर्षों से
खण्डवा म. प्र., कनाड़िया इन्दौर, स्मृति नगर इन्दौर, शिक्षक नगर इन्दौर, पत्रिका मेला इन्दौर, तिलक नगर इन्दौर, माण्डव जिला म. प्र. में
राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अ. भा. कवि सम्मेलन में।
घोषणा – मै घोषणा करती हूँ कि प्रेषित जीवन परिचय में मेरे द्वारा दी गई समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है। असत्य पाए जाने की दशा मे हम स्वयं जिम्मेदार होंगे। मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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