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हिन्दी चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया
आगर  मालवा म.प्र.

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तैंतिस व्यंजन को गिने, ग्यारह स्वर पहिचान।
अं अः है आयोगवह, चार संयुक्त जान।।
ड़ ढ़ को मत भूलिये, हिंदी अक्षर ज्ञान।
बावन आखर जानिये, कहत हैं कवि मसान।।

जय कल्याणी हिंदी माते।
तुमको नित विज्ञानी गाते।।१

व्याकर तीनों भाग बताये।
वरण शब्द अरु वाक्य कहाये।।२

वर्णों का जब होता मेला।
संधि का है यही झमेला।३

तीन भेद संधी है भाई।
स्वर व्यंजन विसर्ग कहाई।।४

बहु तत् द्विगु अरु कर्मधराये।
अव्यय द्वन्द्व समास बनाये।।५

उपसर आगे प्रत्यय पीछे।
तत्सम मूला तद्भव रीझे।।६

वाक्य की परिभाषा जानो।
सरल संयुक्त मिश्रा मानो।।७

सकल नाम संज्ञा कहलाते।
सर्वनाम बदले में आते।।८

किरिया कर्म करत है भाई।
विशेषण रंग रुप गहराई।९

अल्प अर्द्ध अरु पूर्ण विरामा।
योजक कोष्ट प्रश्न निशाना।।१०

गुरु कामता व्याकरण दाता।
भाषा नियमा रचा विधाता।।११

नागरी देव लिपि है आली।
मराठी हिंदी संस्कृत पाली।।१२

हिंदी बोली राज निमाड़ी ।
बुंदेली मालव सुख कारी।।१३

अवधी ब्रज छत्तिस बघेली।
भोज बिहारी कनउज भीली।।१४

काव्य छंद पिंगल समझाये।
भरतमुनि में रस बरसाये।१५

छप्प सोरठा अरु चौपाई।
दोहा रोला बरवै भाई ।।१६

वर्णिक मंदा कवित्त सवैया।
घनाक्षरी दो रुप है भैया।।१७

दश रस माने हिंदी मानक।
अद्भुत करुणा वीर भयानक।।१८

अनुउपमा यम रूपक श्लेषा।
सुंदर काव्य अलंकृत वेषा।।१९

संस्कृत पाली प्राकृत भ्रंशा।
अवहट डिंगल हिंदी वंशा।।२०

तासी ने इतिहास रचाया।
पीछे रामचंद्र ने गाया।।२१

आदिभक्तिअधु रीति बनाई।
चार भाग संवत में गाई।।२२

खुसरो जग विद्या बरदाई।
चारों आदि कवि कहलाई।।२३

रामकथा तुलसी ने गाई।
बीजक कबिरा कही सुनाई।।२४

सूरा मीरा अरु रसखाना।
नंद चतुर्भुज बल्लभ जाना।।२५

रामा तुलसी नाभा गाते।
अग्र हृदय प्राणा भी आते।।२६

सेन भगत पलटू अरु धरमा।
र्सुंदर सहजो धन्ना करमा।।२७

पीपा मल नानक रेदासा।
कबिरा भावा निर्गुण खासा।।२८

मंझन मधु जायसि पद्मावत।
उसमन चित्रा कुतु मिरगावत।२९

भूषण चिंता केशव बोधा।
बिहारी मैथिली ठाकुर शोधा।३०

हरिश्चंद्र कवि नाट रचाया।
अधुनायुग में अलख जगाया।३१

प्रताप अंबिका बदरी मोहन।
भारतेंदु राधा नारायण।३२

मैथिली माखन रामनरेशा।
महावीर हरिओधा शेषा।।३३

जयशंकर है छायावादी।
पंत निराला देवी आदी।।३४

शिव तिरलोचन अरु केदारा।
शोषण प्रगती कवि की धारा।।३५

युगधारा नागार्जुन गाया।
राघव राधे खंडहर भाया।।३६

अज्ञेय प्रयोगवाद चलाया।
तारा सप्तक आप बनाया।।३७

गीत गजल नव छंद बनाई।
नई कविता इक्कावन आई।।३८

कवी भवानी शम दुष्यंता।
सोमा शंभु नइम जगंता।।३९

रमानाथ रघुवीर सहाई।
उमाकांत नवगीत चलाई।।४०

राष्ट्रभाषा जानिये, करें देश का गान।
हिंदी जग में छायगी कहत हैं कवि मसान।।

परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्यप्रदेश शासन तथा देश के कई राज्यों ने पुरस्कृत भी किया है। डॉं. मसानिया विगत १० वर्षों से हिंदी गायन की विशेष विधा जो दोहा चौपाई पर आधारित है, चालीसा लेखन में लगे हैं। इन चालिसाओं को अध्ययन की सुविधा के लिए शैक्षणिक, धार्मिक महापुरुष, महिला सशक्तिकरण आदि भागों में बांटा जा सकता है। उन्होंने अपने १० वर्ष की यात्रा में शानदार ५० से अधिक चालीसा लिखकर एक रिकॉर्ड बनाया है। इनका प्रथम अंग्रेजी चालीसा दीपावली के दिन सन २०१० में प्रकाशित हुआ तथा ५० वां चालीसा रक्षाबंधन के दिन ३ अगस्त २०२० को सूर्यकांत निराला चालीसा प्रकाशित हुआ।
रक्षाबंधन के मंगल पर्व पर डॉ दशरथ मसानिया के पूरे ५० चालीसा पूर्ण हो चुके हैं इन चालीसाओं का उद्देश्य धर्म, शिक्षा, नवाचार तथा समाज में लोकाचार को पैदा करना है आशा है आप सभी जन संचार के माध्यम से देश की नई पीढ़ी को दिशा प्रदान करेंगे।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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