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माँ के लिए

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)

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ईश्वर से अनाथ बालक की विनती

मैने देखी नहीं, माँ की सूरत
कहाँ से पाउँगा, माँ का प्यार
माँ करती है, प्यार-दुलार
ये बतियाते है मुझसे-यार
मै अनाथ ये क्या जानूँ
क्या होता है माँ का प्यार
बिन माँ के लगते सूने त्यौहार।

मैने देखी ही नहीं …।

माँ का आँचल
आँखों का काजल
मीठे से सपने
जैसे खो गए हो अपने
बिन माँ के लगता है कोरा संसार।

मैने देखी ही नहीं….

ऊपर वाले
ओ रखवाले
अंधेरों में भी
देता उजियाले
मेरी विनती सुन, दे माँ का प्यार
बिन माँ के कहाँ से पाउँगा माँ का प्यार।

मैने देखी नहीं, माँ की सूरत
कहाँ से पाउँगा, माँ का प्यार
माँ करती है, प्यार-दुलार
ये बतियाते है मुझसे-यार
मै अनाथ ये क्या जानूँ
क्या होता है माँ का प्यार
बिन माँ के लगते सूने त्यौहार।

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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