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तुम कहाँ हो?

विरेन्द्र कुमार यादव
गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश)

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माँ तुम यहाँ हो कि वहाँ हो,
माँ तुम इस संसार में कहाँ-कहाँ हो।
मैने सुना माँ तुम इस संसार के कण-कण में हो,
माँ तुम कहाँ हो, माँ तुम कहाँ हो।
माँ करके सिंह सवारी,
माँ लगे सारे संसार को प्यारी।
माँ पहने चुनर-साड़ी,
जग को लगे तू माँ प्यारी।
माँ तुम्हे पूँजे जग के सब नर-नारी,
तुमपे वारी-वारी जाये ये जनता सारी।
पंडित जी लो मैया की नजर उतारी।।
कोई बेचे माँ गली-गली घूम-घूम तरकारी,
कोई करे माँ की कृपा से नौकरी सरकारी।
मुझे चाहिये माँ कृपा तुम्हारी,
सदा बनी रहे हमारे ऊपर दयादृष्टि तुम्हारी।
माँ तुम यहाँ हो माँ तुम वहाँ हो,
माँ तुम सारे जहाँ के कण-कण में हो।
माँ तुम हर गाँव-गाँव और शहर-शहर में हो,
माँ तुम हर एक के मन मंदिर में हो।
माँ तुम इस नौरातम में गली-गली
डगर-डगर के पंडालो में सजी हो,
हर गाँव-गाँव शहर-शहर में माँ तुम्ही ही तुम्ही हो।
माँ तुम यहाँ हो माँ तुम वहाँ हो,
माँ तुम इस जहाँ के कण-कण में हो।

परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव
निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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