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वक़्त के वक्तव्य

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)

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वक़्त पर वक्तव्य होता, कृतत्व से ही पार होगा
कल के इंतज़ार में बंधु, जीवन दुश्वार ही होगा।

“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब
पल में परलय होएगी, बहुरि करैगो कब”

कबीर की साखी से, कर्मों में सुधार ही होगा
कल के इंतज़ार में बंधु, जीवन दुश्वार ही होगा।

आज का भी काज है, कुछ कल का भी होगा
टालने की आदत से, आखिर किसका भला होगा

भला खुद का ना करो तो, कई गुना भार होगा।
कल के इंतज़ार में बंधु, जीवन दुश्वार ही होगा।

हर कार्य समय पर होना, माना संभव ना होगा
अनायास विवशता चक्रों से, सबका परिचय होगा

नैतिक शिक्षा अभाव से, मानव जार-जार होगा
कल के इंतज़ार में बंधु, जीवन दुश्वार ही होगा।

शान बनती पूर्णता से, टालने का भी नशा होता
स्वबिम्ब ही गुम जाए, ऐसा धुंधला शीशा होता

क्षमा दया का पात्र बने, जीवन तार -तार होगा
कल के इंतज़ार में बंधु, जीवन दुश्वार ही होगा।

कर्मयोगियों से भरी दुनिया, विद्वानों की कमी नहीं
चाल चरित्र चेतना से, कर्तव्य राह ही सदा सही

सीढ़ी सुगंध धुआं स्वप्न पूर्ण, रावणदर से ना होगा
कल के इंतज़ार में बंधु, जीवन दुश्वार ही होगा।

कृष्ण ने कर्म बतलाया, फल आशा नहीं सिखाई
आदत ही ताकत बनती, गांधी पटेल अटल दर्शाई

व्यक्तित्व सूत्र कृतत्व, ‘विजय’ सूत्र बारंबार होगा।
कल के इंतज़ार में बंधु, जीवन दुश्वार ही होगा।

वक़्त पर वक्तव्य होता, कृतत्व से ही पार होगा।
कल के इंतज़ार में बंधु, जीवन दुश्वार ही होगा।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति :१९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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