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वही दर्द

श्रीमती शोभारानी तिवारी
इंदौर म.प्र.

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                                                           मोना को आज ट्यूशन से घर आने में देर हो गई, जैसे-तैसे वह जल्दी जल्दी चलने लगी तो तेज आंधी शुरू हो गई। उसकी किताबें बिखर गई और तेज बारिश के कारण लाइट भी चली गई। वह बहुत डर गई। अंधेरा हो गया था कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, जैसे तैसे वह एक ऑटो आकर रुका, उसने कुछ कहा नहीं और ऑटो में बैठ गई। भैया तिलक नगर जाना है, जी मैडम वह सोच रही थी कि, अच्छा हुआ ऑटो मिल गया वर्ना आज तो मुश्किल हो जाती। कुछ दूर जाने के बाद ऑटो वाला सुनसान रास्ते पर ले जाने लगा। भैया आटो रोको, आप मुझे कहां ले जा रहे हो? ऑटो वाले ने शांति से कहा कि, मैडम मेन रोड से ले जाऊंगा, तो पुलिसवाले रोकेंगे और प्रश्न पूछेंगे। आपको और देर हो जाएगी।इसलिए मैं दूसरे रास्ते से ले जा रहा हूं। आप निश्चिंत रहिए मैं आपको घर तक छोड़ दूंगा। आप मेरी बहन जैसे हो। कुछ दूर ले जाकर उसने गाड़ी रोक दी, वह जगह सुनसान थी, उसने कहा हां मैडम गाड़ी बंद हो गई है। पास ही मेरा एक दोस्त मैकेनिक रहता है, उसे बुला कर लाता हूं। आप घबराना नहीं और वह चला गया। थोड़ी देर बाद जब लौटा तो तीन दोस्त और थे। उसने मोना से कहा कि मैडम आपको उतारना पड़ेगा, तभी ऑटो सुधर पायेगा। चिंता की रेखा मोना के माथे पर साफ झलक रही थी। भैया कितना समय लगेगा? करीब आधा घंटा आप एक जगह बैठ जाइए। वे कुछ समय ऑटो सुधारने का नाटक करते रहे। कुछ समय बाद धीरे-धीरे पास गए, और गंदी हरकत करने लगे। मोना को समझते देर नहीं लगी कि वह मुसीबत में फंस गई है। अंधेरा होने के कारण किसी का चेहरा भी नहीं दिख रहा था। सब ने मिलकर उसे उठाकर सड़क पर पटक दिया और बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार करने लगे वही अपनी इज्जत की भीख मांगती रही। किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा। झीनाझपटी में एक लड़के का चैन उसके हाथ में आ गया। रात भर सब भेड़ियों की तरह उसकी बोटियां नोचते रहे, उसकी इज्जत को तार-तार करके उसे अधमरा छोड़कर चलते बने। वह सुबह तक वहीं पड़ी रही, और धीरे-धीरे चलकर घर के सामने निढाल होकर गिर पड़ी। पड़ोसी रमेश जो कि ऑटो चलाता था। उसने उसे आते हुए देखा, और उसके हाथ में अपने गले का चेन भी, वह समझ गया कि जिस लड़की का शिकार किया था वह और कोई नहीं मोना है, वह मुझे भाई मानती थी, और कल ही उसने मेरे हाथ में राखी बांधी थी जो कि अभी तक बंधी है। मैंने रक्षा का वचन दिया था उसने मुझ पर भरोसा किया, और उसकी रक्षा करने के बजाय मैंने उसका भरोसा तोड़ दिया। उसने वह राखी वहीं पर उतार कर रख दिया और चुपचाप घर आ गया। इस कुकर्म का मस्तिष्क पर इतना गहरा असर पड़ा कि वह पागल हो गया और एक ही बात बड़बड़ाता है कि मोना मुझे माफ़ कर देना।

परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी
पति – श्री ओम प्रकाश तिवारी
जन्मदिन – ३०/०६/१९५७
जन्मस्थान – बिलासपुर छत्तीसगढ़
शिक्षा – एम.ए समाजश शास्त्र, बी टी आई.
व्यवसाय – शासकीय शिक्षक सन् १९७७ से वर्तमान में शासकीय हिन्दी प्राथमिक विद्यालय क्र. ६४ इन्दौर में प्रधानाचार्य
किसी क्षेत्र में उपलब्धियों का विवरण –
श्रेष्ठ शिक्षक अवार्ड ५ सितंबर२०१५
उत्कृष्ट शिक्षक अवार्ड (आइसेक्ट यूनिवर्सिटी) २०१३
एक्सिलेंस टीचर्स अवार्ड (पत्रिका द्वारा) इंदौर २०१५
मालव रत्न अवार्ड इन्दौर २०१६
राज्य स्तरीय पुरस्कार दैनिक विनय उजाला २०१६
शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट सम्मान (साहित्य कलश द्वारा ) २०१८
प्रकाशित रचनाओं की संख्या – ६०
प्रकाशित पुस्तकों की संख्या – ०१
विधा – काव्य (एक उड़ान उन्मुक्त गगन में )

प्राप्त सम्मान :-
जे एम डी पब्लिकेशन द्वारा हिन्दी सेवी सम्मान (दिल्ली) २०१२
साहित्य रत्नाकर सम्मान (लखनऊ) २०१५
माहेश्वरी सम्मान (भोपाल) २०१५
डाँ. महाराज कृष्ण स्मृति सम्मान (शिलांग) २०१५ स्वर्ण पदक
विकल सम्मान (उत्तर प्रदेश) २०१६
विद्या वाचस्पति पुरस्कार (भागलपुर बिहार) २०१६
साहित्य भूषण एवं नारी रत्न सम्मान (रायपुर)
रविन्द्रनाथ ठाकुर सारस्वत साहित्य सम्मान (कोलकाता) २०१५
महिला गौरव सम्मान (खण्डवा) २०१७
१० कलमवीर सम्मान (ग्वालियर) २०१७
११ राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. (hindirakshak.com) द्वारा – हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान, कुल ४३ अवार्ड
काव्य पाठ का विवरण :-
आकाशवाणी से कविताओं का प्रसारण १६ वर्षों से
खण्डवा म. प्र., कनाड़िया इन्दौर, स्मृति नगर इन्दौर, शिक्षक नगर इन्दौर, पत्रिका मेला इन्दौर, तिलक नगर इन्दौर, माण्डव जिला म. प्र. में
राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अ. भा. कवि सम्मेलन में।
घोषणा – मै घोषणा करती हूँ कि प्रेषित जीवन परिचय में मेरे द्वारा दी गई समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है। असत्य पाए जाने की दशा मे हम स्वयं जिम्मेदार होंगे। मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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