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बेटी करे पुकार

डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)

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बेटी करे पुकार चित्कार!
मांँ मुझे दे तु कोख में मार!!

बाबा तुम मेरी सुनो अरज!
मुझे ना लाओ इस धरा पर!!

हे राष्ट्र के पालक पिता!
दें सुतों को अनुशासन उम्दा!!

मेरी तो रूह काँपती है देख देख…
कालिख सनी विक्षिप्तों की उन्माद रेख!!

सुनो आर्यावर्त की प्रणम्य जननी!
लांक्षित है तेरे पूतों की करनी!!

पुत्र रत्न पाकर ही न हो जा धन्या !
संस्कार सिखा, सम्मान करें कन्या!!

गढो़ पूतों के चरित्र तुम उज्ज्वल!
देखें हर बाला को वे नयन विमल!!

ना करें किसी कन्या-आत्मा का दमन!
हर कली निर्भय विचरे राष्ट्र चमन!!

विकृत! तेरे कृत्य से पशु लज्जावनत!
लज्जित मानव: गरिमा को संघर्षरत!!

उदात्त भाव से करें स्व को संपृक्त!
नारी शक्ति पूज्य निज संस्कृति समृद्ध!!

समाज के पहरूओ! सुत विकृति मुक्त करो….
तब कन्या-आगमन लालसा से भरो!!

हर बेटी के जन्म पर हर्षित हों नयन!
मिले इतना लाड बिटिया चूमे गगन!!

परिचय : डॉ. पंकजवासिनी
सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय
निवासी : पटना (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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