Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

गर हमारी हिम्मत तुमसे नजरे मिलाने की होती

मनमोहन पालीवाल
कांकरोली, (राजस्थान)

********************

गर हमारी हिम्मत तुमसे नजरे मिलाने की होती
हकीकत-ए-जिंदगी की कहानी दिखाने की होती

बाते करते है अक्सर लोग घर दुब्बकर बैठै क्यूं
नशे मन कुछ बाते राज़ की छुपाने की होती

उनसे राब्ता तो रहा है थोड़ी दूर फ़ासले का
हसरते मानो साथ उनके जमाने की होती

अदब करते रहे है हम रूतबे नही जानते क्या है
यही मासूमियत तो उनमे पहचानने की। होती

तुम अभी वाकिफ़ नही शायद मेरी दीवानगी से
खुदा के दर कद्र भी इश्क के परवाने की होती

यही इल्म तो ज़मी के बंदो को समझाए कौन
फरिश्ता नही नुमाइदा हूं हिम्मत झुटानै की होती

परिचय :- मनमोहन पालीवाल
पिता : नारायण लालजी
जन्म : २७ मई १९६५
निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान
सम्प्रति : प्राध्यापक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीयहिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …. 🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे सदस्य बनाएं लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *