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मोबाइल

मुकेश गाडरी
घाटी राजसमंद (राजस्थान)

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उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम से,
कोने- कोने से बातें हो जाती है।

रिश्तों में दुरियाँ बढती चलीं जाती हैं,
अब इसे जीवन कहे या मृत्यु कहे…..

वाह! मोबाइल क्या नाम दिया है…..
दुनिया भर की खबर देख लेते हैं,

मानव सोच को सकारात्मक करते।
अपना उधोग इससे कर सकते हैं,

पर मानव इसका दूरउपयोग क्यों करते…..
अब मोबाइल अपनी हर आवश्यकता पूरी करते…..

ना दिन का पता ना रात का,
बस मोबाइल पर समय गुजर जाता।

पास होने पर अजनबी लगते,
मोबाइल पर बातचित हो जाती हैं……
यह सुंदर दुनिया मोबाइल में खो जाती हैं……..

परिचय :- मुकेश गाडरी
शिक्षा : १२वीं वाणिज्य
निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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