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क्षितिज मिलेगा

राकेश कुमार तगाला
पानीपत (हरियाणा)

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 प्रियंका, क्या मैं अंदर आ सकती हूँ, सर। प्लीज कम इन, हैव आ सीट। थैंक्स, सर। कैन आई हेल्प यू। सर, मेरा नाम प्रियंका है। पिछले सप्ताह ही आपसे जॉब के लिए बात हुई थी। ओह, यस प्रियंका, आप हमीरपुर से हैं। यस सर, आप कल ९:०० बजे से आ सकती हो, थैंक सर। मन में नई उमंग के साथ ही घर फोन मिला दिया। मम्मी मुझें जॉब मिल गई हैं, हमीरपुर में।
मम्मी : प्रियंका-मुझें तो पहले ही पता था कि तुम्हें जॉब जल्दी ही मिल जाएगी। तुम बहुत काबिल हो, काबिल लोगों के मार्ग में रोड़े आ सकते हैं, बाधाए आ सकती। पर उन्हें मंज़िल अवश्य मिल जाती है। चाहे देर से ही सही,इतना कहते-कहते माँ चुप हो गई।
प्रियंका : माँ- चुप क्यों हो गई? मन में कुछ हो तो, कहो ना। मन का दर्द कहने से हल्का हो जाता है। फिर मैं तो तुम्हारी बहादुर बेटी हूँ ना।
कल अनिल का फोन आया था। वह कह रहा था कि उसे अपनी गलती का अहसास हो गया। वह तुम्हें ले जाना चाहता हैं। एक मौका चाहता हैं। प्रियंका ने फोन रख दिया। सुबह से ही ऑफिस जाने की चाह में वह जल्दी-जल्दी अपने रोजमर्रा के कामों को निपटा रही थी। उसके मन में एक उत्साह था कि आखिर उसे बोर जिंदगी से अब छुटकारा मिल जाएगा, झटपट तैयार होकर वह ऑफिस के लिए चल पड़ी। वह कदम बढ़ाती जा रही थी, पर यादें उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी। वह अतीत से भागना चाहती थी। उस बुरे दौर से छुटकारा पाना चाहती थी। ऑफिस के गेट पर पहुँच कर ही उसने चैन की सांस ली।
लंच ब्रेक हो गया सभी आपस में एक- दूसरे को जानने का प्रयास करने में जुटे थे। प्रियंका जी, एक कर्मचारी ने सवाल किया? आप यहाँ की तो नहीं लगती, मेरा मतलब है हमीरपुर की। जी नहीं, प्रियंका ने संक्षिप्त सा जवाब दिया। क्योंकि वह किसी से किसी तरह का मेल जेल नहीं रखना चाहती थी। वह लोगों से दूरी बना कर रखना चाहती थी। इससे पहले कि उससे और कोई सवाल पूछता? वह कुर्सी से उठकर अपने केबिन में घुस गई। उसे लगा कोई उसका पीछा कर रहा हैं पर यह सिर्फ उसका वहम था। वहाँ कोई नहीं था, उसने राहत की सांस ली।
शाम को, वह पार्क में बैठी पेड़ो को देख रही थी। सामने माली लाल, पीले फूलों को पानी दे रहा था। पार्क की सुंदरता मन को मोह रही थी। जैसे फूल-पत्तों में ही जिंदगी की सुंदरता रह गई। बाकी सब व्यर्थ हैं, सारे रिश्ते- नाते।
अनिल भी तो उसे पहली नजर में ही भा गया था। जब वह उसे देखने आया था। माँ ने उसे कहा था बेटी फैसला तुम्हारा है। जो तुम्हारा फैसला होगा वही मेरा भी होगा। तुम मेरी इकलौती संतान हो। तुम ही मेरा बेटा और बेटी दोनों हो। मुझें कोई फर्क नहीं पड़ता कि समाज क्या कहेगा? बस तुम्हारी खुशी, तुम्हारी पसंद ही मेरे लिए सब कुछ है। अगर अनिल तुम्हें पसंद तो ठीक है। कहते हैं ना माँ की अनुभवी आँखो से कुछ नहीं छुपता। वही मेरे साथ भी हुआ। अनिल से मेरा रिश्ता हो गया। शादी के लिए उसने ने कुछ महीनों का समय माँगा था।
उसकी बातें बड़ी मीठी थी। वह हर समय मेरी प्रशंसा करता रहता था। कभी कहता तुम तो किसी फिल्म स्टार से कम नहीं लगती हो। तुम्हारी चाल हाय तोबा और भी पता नहीं क्या-क्या कहता रहता था? मैं चुपचाप सुनती, और शर्म से लाल हो जाती थी। मैं उसकी तरफ से खींची जा रही थी बिन डोर के पतंग की तरह।मुझें पहली बार प्यार का अहसास हुआ था।
मैं उसके प्यार में इतना डूब चुकी थी कि उसके अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। अनिल से उसका रिश्ता विज्ञापन के माध्यम से पक्का हुआ था, ज्यादा छानबीन भी नहीं की गई थी। अनिल ने अपने बारे में कुछ भी नहीं बताया था। जब भी उससे पूछती,वह इतना ही कहता सारी जिंदगी पड़ी है मुझे जानने के लिए, मेरी जान। मैं हमेशा एक कविता की पंक्ति गुनगुनाती रहती थी। “मंजिल पर चलता रह ऐ इंसान क्षितिज जरूर मिलेगा-क्षितिज मिलेगा”।
उस दिन उसके घर पर तूफान आ गया था। जब उसकी सहेली में अनिल की तस्वीर देख कर कहा- तुम इससे शादी कर रही हो। तुम इसके प्यार में पागल हो। अरे यह तो खूनी है, अभी जेल से सजा काट कर लौटा है। इसने अपने मकान मालिक का खून कर दिया था। मेरा भाई इसे अच्छी तरह से जानता है। ये खूनी तुम्हारा जीवन बर्बाद कर देगा। माँ के पाँव तले से जमीन खिसक गई थी। यह सुनकर उन्होंने अपना माथा पीट लिया था। वह हाय- हाय चिल्ला रही थी। और मेरे आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। मैं अनिल से कोई वास्ता नहीं रखना चाहती थी। मुझें उसके नाम से भी नफरत हो रही थी। इतना बड़ा झूठ, आखिर मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ? ये सुनने से पहले मैं मर क्यों नहीं गई? मैं पूरी तरह टूट चुकी थी।
मैं इस शहर को छोड़ देना चाहती थी। मैं लगातार प्रयास कर रही थी, इन परिस्थितियों से बाहर निकलने का। मैं इस विकट समस्या से छुटकारा पा लेना चाहती थी। जब मुझें हमीरपुर में जॉब मिली तो मुझें क्षितिज मिल गया था। मैं नई शुरुआत के लिए तैयार थी। कोशिश करता जा रहे इंसान क्षितिज मिलेगा दोबारा।

निवासी : पानीपत (हरियाणा)
शिक्षा : बी ए ऑनर्स, एम ए (हिंदी, इतिहास)
साहित्यक उपलब्धि : कविता, लघुकथा, लेख, कहानी, क्षणिकाएँ, २०० से अधिक रचनाएँ प्रकाशित।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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