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ये जो मेरी हिंदी है

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा
बेगम बाग (मेरठ)

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ये जो मेरी हिंदी है
कितनी प्यारी हिंदी है
सजी राष्ट्र के माथे पर,
जैसे कोई बिंदी है।।

हजार वर्ष में युवा हुई
गई षोड़शी सत्रह में
पहले पन्ने मुखर हुई,
जलती रही विरह में।।

बनी विधान में रानी है
अलंकृता हुई नागरी है
धाराएँ तीन सौ निकली,
४३ से ५१ तक सारी है।

पंचमुखी,दस में भाषें है
दक्षिण पथ प्रतिगामी है
अश्व वेग से दौड़ रही,
दुनिया देती सलामी है।

मान मिला तो खड़ी हुई
सत्रह बोलियाँ जड़ी हुई
रही कौरवी अधर अधीरा,
राष्ट्र भाव में बढ़ी हुई।।

शोभा इसकी बढ़ती है
जन आशा में चढ़ती है
कुछ दुष्टों की खातिर,
इसकी आन बिगड़ती है।

साहित्यभूमि में ढली हुई
मानक पोषित पली हुई
विश्व सोचता सीखे हम,
यहाँ दुराशा मिली हुई।

ये जो मेरी हिंदी है
कितनी प्यारी हिंदी है
सजी राष्ट्र के माथे पर,
जैसे कोई बिंदी है।।

परिचय :-  सुरेखा “सुनील “दत्त शर्मा
उपनाम : साहित्यिक उपनाम नेहा पंडित
जन्मतिथि : ३१ अगस्त
जन्म स्थान : मथुरा
निवासी : बेगम बाग मेरठ
साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास
प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :-
पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला अखबार, सौराष्ट्र भारत न्यूज़ पेपर मुंबई,  कहानी संग्रह, काव्य संग्रह
सम्मान : हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं काव्य भूषण सम्मान मुंबई, वरिष्ठ समाजसेवी सम्मान मेरठ, क्रांति धरा साहित्य रत्न सम्मान, पर्यावरण प्रहरी सम्मान
संप्रति : सचिव ग्रीन केयर सोसायटी, सचिव बीइंग वूमेन मेरठ मंडल


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