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मिस सीमा

राकेश कुमार तगाला
पानीपत (हरियाणा)

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                                         प्रदीप, तुम क्या समझते हो? मैं सीमा की चाल नहीं समझ रही हूँ। आखिर बात क्या हैं नीना दीदी? खुलकर कहो जो कहना चाहती हो।पहेलियाँ क्यों बुझा रही हो? नहीं प्रदीप ये कोई पहेली नहीं है। ये पूरी तरह सत्य हैं। तुम्हारी मिस सीमा, आजकल मेरे लाड़ले अवि पर डोरे डाल रही हैं। ये आप क्या कह रहीं हो दीदी? क्या सबूत हैं तुम्हारे पास? तुम्हें भी सबूत चाहिए, जबकि तुम मिस सीमा के व्यक्तित्व के बारे में अच्छी तरह जानते हो। हाँ, जानता हूँ वह एक स्मार्ट औरत हैं, बेहद चालाक। वह अपनी नाक पर मक्खी तक नहीं बैठने देती। पर आजकल उसकी हालात ठीक नहीं है। वह कर्ज में डूबी हुई हैं।
यही तो मैं तुम्हें बताने का प्रयास कर रही हूँ। वह हमारे अवि,पर अपने रूप का जादू बिखेर रही हैं। वह अच्छी तरह जानती है कि वह करोड़ो का मालिक है। वह इसी का फायदा उठाना चाहती हैं। दीदी, तुम क्या चाहती हो? तुम मिस सीमा से बात करो, उसे कुछ रुपये देकर रास्ते से हटा दो। उसे तो अपनी उम्र का भी ख्याल नहीं है।
दीदी, क्या अवि उससे शादी करना चाहता हैं? मुझें पूरा यकीन हैं। तुम चिन्ता मत करो। मैं उससे बात करता हूँ। उसे दीदी की इन बातों पर यकीन नहीं हो रहा था। पर बात तो करनी ही होगी। वह और देर नहीं करना चाहता था। वह सीमा के घर कि तरफ चल पड़ा। ओह! प्रदीप, आज मेरे घर का रास्ता कैसे भूल गए? क्या मैं कोई सपना देख रही हूँ? कहकर वह खिलखिला कर हँस पड़ी। उसमें आज भी वहीं वर्षो पहले वाली चंचलता थी। एक अकेली औरत इतनी खुश कैसे रह सकती थी, वह यही सोच रहा था? प्रदीप, कहो किस काम से आए हो? बहुत समझदार हो।हाँ, बिना काम तो तुम मेरे पास आ ही नही सकते। तुम्हें कैसे पता कि मैं किसी काम से आया हूँ? वह फिर खिलखिलाकर हँस पड़ी। अब रहने भी दो, प्रदीप।
क्या तुम अवि से प्यार करती हो, उससे शादी करना चाहती हो। किसी से प्यार करना, शादी करना गुनाह है। क्या इसके लिए मुझें तुम से परमिशन लेनी होगी। पर अवि ही क्यों? ओह! मुझें लगता है ये सब करोड़ों रुपये के लिए। प्रदीप, तुम मुझें कितनी अच्छी तरह पहचानते हो?आखिर तुमनें अपने रूप का जादू चला ही दिया। मुझें लगता हैं अगर तुम मेरे मामले में, बस रहने दो सीमा। अब तुम जा सकते हो, प्रदीप।
वह वहाँ से तुरंत बाहर निकल गया। रास्ते भर वह सीमा के बारे में सोचता रहा। क्या यह वहीं सीमा है जिसने मेरा प्यार ठुकरा दिया था? यह कह कर पहले अपने दम पर कुछ करके दिखाओ। इसी कारण मैंने रात-दिन एक कर दिया था, ताकि उसे पा सकू। मैंने आज तक शादी नही की थी। मैं कितना गलत था? दीदी, सीमा के बारे में कितनी सही थी कि वह अपने रूप के जाल में पहले भी कितनों का पागल बना चुकी थी।
माँ, आप समझती क्यों नहीं, मैं सीमा जी को कितना प्यार करता हूँ? क्या तुम उससे शादी करना चाहते हो, हाँ, माँ आप ठीक समझ रही हैं।तुम अभी नादान हो, ऐसी गलती भूलकर भी मत करना। तुम उस औरत के बारे में कुछ भी नहीं जानते। ये मेरा दुर्भाग्य ही है कि मेरा भाई और मेरा बेटा एक ही औरत के शिकार हैं। क्या तुम्हें पता हैं, तुम्हारे मामा ने भी…. कहते-कहते वह चुप हो गई? हाँ, माँ मुझें सब पता हैं। सीमा जी ने मुझें सब कुछ बता दिया है। फिर भी तुम….?
माँ, इसमें उनका क्या दोष है? मैं कल सीमा जी से मिलने जा रहा हूँ। पागल मत बनों, प्रदीप तुम कुछ बोलते क्यों नहीं?
इस पर उसके रूप का जादू चल रहा, ये अंधा हो चुका है।
आप सब सीमा जी को गलत समझ रहे हो। बस अब मैं इस विषय में कुछ नहीं सुनना चाहता।
मैडम, आपसे मिलने कोई अवि जी आए हैं। उन्हें अन्दर ले आओ। बिना मेकअप के चेयर पर बैठी, सीमा जी बड़ी साधारण लग रही थी। वह उन्हे देखकर हैरान रह गया। क्यों, क्या हुआ? प्यार का बुखार उतर गया। आप ऐसा क्यों कह रही हैं, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ? क्या आप मुझसे शादी करेंगी? नहीं, अवि इसे प्यार नहीं, आकर्षण कहते हैं। आज मैं तुम्हें पसन्द हूँ, पर १० साल बाद, ना ये आकर्षण रहेगा, ना तुम्हारा प्यार। नहीं मैं …। अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है? भगवान ने चाहा तो जल्द ही तुमहारी जिंदगी में कोई अच्छी लड़की आ जाएगी। क्या आप किसी और से प्यार करती है, उससे शादी करना चाहती है। अगर मैं तुम्हारी मामी बनना चाहूँ, तो तुम्हें कोई एतराज तो नहीं। सच, मामी। मैं अभी मामा को खुशखबरी सुनाता हूँ। वह फिर अपने ही अन्दाज में ख़िलखिलाकर हँस पड़ी।

निवासी : पानीपत (हरियाणा)
शिक्षा : बी ए ऑनर्स, एम ए (हिंदी, इतिहास)
साहित्यक उपलब्धि : कविता, लघुकथा, लेख, कहानी, क्षणिकाएँ, २०० से अधिक रचनाएँ प्रकाशित।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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