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जो गुजरे पल

विशाल कुमार महतो
राजापुर (गोपालगंज)

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कभी सोचे जो गुजरे पल तो मन उदास होता है
मतलबी ये जमाना है, कोई ना खाश होता है
भरोसा टूट जाए तो ये मन निराश होता हैं।
धोखा वही से मिलता हैं, जहाँ विश्वास होता है।

पता चलता नही है अब कौन कब खास होता है,
छोड़ेंगे साथ नही तेरा, बहुत बकवास होता है।
छुपी है जो सच्चाई वो न अब बर्दाश होता है,
हजारों दोस्त बनते है जब पैसा पास होता है।

सच्चाई मुँह पे बोलना, मेरी वर्षों की आदत है
इसी की राह पर शायद मेरी जीवन सलामत है,
जो समझे ही मुझको जीवन मे मेरा होकर के
मुझे बुरा कहने का तो उन्हें पूरा इजाजत है।

परिचय :- विशाल कुमार महतो
निवासी : राजापुर (गोपालगंज)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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