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फौजी का दर्द

संजय सिंह मीणा
करौली (राजस्थान)

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                 (गोली लगने के बाद)
गोली लगते ही वीरा को माता की याद सताई है
बीवी का प्यार भी याद आया बच्चे की हंसी खुदाई है
भाई की यादों में भाई जब अश्क बहाने लगता है
बहना प्यारी सी चिडिया है ये सोच सोच के रोता है।

उड गया पंक्षी लुट गया मेला कुछ देर सांस बस अटकी है
अपशकुन हो गया बीवी को जब फूटी कोरी मटकी है
माता की आंखों का तारा पलभर में छलनी कर डाला
बापू का पत्थर जैसा दिल भी आंशू रूपी भर डाला।

जब खबर गांव मे पहुंची है वीरा ने देह त्यागी है
माता बहना बेहोश गिरी बवी भी बाहर भागी है
कहाँ गया छोड के ओ साथी तूने धोका मुझसे कर डाला
जीना मरना था साथ अकेले केसे छोड चला जारा।

बापू की छाती फ़टी निकल गई गंगा रूपी जलधारा
बहना चिल्लाई ओ भैया अब तुने ये क्या कर डाला
माता जी पागल हुई पडी बेटा बेटा चिल्लाती है
छोटी सी अनजानी बच्ची पापा-पापा बिलखाती है।

परिचय : संजय सिंह मीणा
पिता :
रूप सिंह मीणा
माता :
महादेवी
सम्प्रति :
अध्यापक
निवासी
: करौली, राजस्थान

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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