Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

माता का आंचल

रवि कुमार
बोकारो, (झारखण्ड)

********************

माँ की पल्लु पकड़ आज
रो रहा हूँ मैं।।
प्यार भरी ममता आंचल मे
सौ रहा हूँ मैं।।

सपने में आया उड़ता परिन्दा
काट रहा था हाँथ मेरे।।
मानो माँ से कह रहा हो
छोड़ इसे चल साथ मेरे।।

माँ की ममता बहक गई,,
आँसु आँखो-से छलक गई।।
दूर खड़ी थी माँ मेरी
छूने से मुझको तरस गई।।

उड़ गया परिंदा नीले गगन में
ले गया माँ को साथ मेरे
आँख खुली तो पाया में
कोई नहीं अब साथ मेरे।।

परिचय : रवि कुमार
निवासी – नावाड़ीह, बोकारो, (झारखण्ड)
घोषणा पत्र : यह प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *