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बाबाओं के चक्कर में…

दामोदर विरमाल
महू – इंदौर (मध्यप्रदेश)

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भगवान बनकर दुनिया हिलाने की बात करते है।
आत्मा को परमात्मा से मिलाने की बात करते है।

बड़े बड़े आश्रम है जो कई एकड़ में समाया है।
आलीशान बंगले जिसमे स्वमिंग पूल बनाया है।

कई बड़े शहरों में इनके वीआईपी तो फ्लेट है।
जिसमे लगे कैमरे वो लेडीज़ के टॉयलेट है।

कुछ अंधभक्त मूर्खता की तो हद पार करते है।
खुदका ईश्वर छोड़ बाबाओ पे ऐतबार करते है।

पता नही क्या मिलता है वहां क्या लेने जाते है।
सत्संग के नाम पर हजारों खर्च करके आते है।

ज्ञान लेने के लिए क्या दान भी ज़रूरी होता है।
ईश्वर को पाने के लिए केवल ध्यान ज़रूरी होता है।

स्वयं के लिए आस्था आपके दिल मे जगा देते है।
और धीरे धीरे वो आपके ईश्वर को ही भुला देते है।

आप गए तो तो पूरे परिवार को भी बुला लेते है।
मनको परिवर्तित करने में ये जगजाहिर होते है।

ये मूर्ख बनाने में तो जबरजस्त माहिर होते है।
अब यही है हकीकत और यही है फसाना।

इन बाबाओं के चक्कर मे कभी ना आना।।

परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके नानाजी थे। हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं आपके द्वारा अभी तक कई कविताये, मुक्तक, एवं ग़ज़ल व गीत लिखे गए है, जो आये दिन अखबारों में प्रकाशित होते रहते है।  गायन के क्षेत्र कराओके गीत गाने में आप खासी रुचि रखते है।
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