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श्री रामदेव चालीसा

 

डाॅ. दशरथ मसानिया
आगर  मालवा म.प्र.

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     रामदेव जयंती पर विशेष २०/८/२०

कलि काल प्रभु जन्म लिया, राम देव अवतार।
जन जन के तो दुख हरे, दुष्टन को संहार।।

जब जब होय धरम की हानी।
करते रक्षा प्रभु जग आनी।।

जय जय रामा पीड़ा हारी।
भक्तन के तुम हो हितकारी।।

भादो शुक्ला दूज सुहाई।
संवत चौदह बासठ भाई।।

बाड़मेर में उण्डू ग्रामा।
जन्मे रामदेव भगवाना।।

राजा रुणिचा मनुज सुधारक।
दीन दुखी के पीड़ा हारक।।

मैना देवी राज कुमारा।
अजमल जी के घर अवतारा।।।

अजमल मैना तप को जाई।
पुरी द्वारका अरज लगाई।।

कृष्ण मुरारी दे वरदाना।
ईश अंश जन्में भगवाना।।

बहिना सुगना लाछो बाई।
वीरमदेवा थे बड़ भाई।।

पांच पीर मक्का से आये।
बाबा से परचा करवाये।।

मांगे बर्तन निज के अपने।
भाजन पाये जैसे सपने।।

अमरकोट की राजकुमारी।
बेटी थी नेतलदे प्यारी।।

राजा ने पंडित भिजवाया।
पाती राम ब्याह की लाया।।

अजमल जी पाती स्वीकारी।
राम ब्याह की भई तैयारी।।

पोकर गढ़ में खुशियां छाई।
ज्ञ समाचार सुन जन हरषाई।।

पुंगलगढ़ में सुगना बाई।
रतना रइका गया लिवाई।।

हाथ बांध के ऊंट छुड़ाई।
सैनिक ने भी करी पिटाई।।

खबर सुनत ही प्रभु खुद आये।
रतन छुडाये सुगना लाये।।

भाले से जब करी लड़ाई।
दुष्ट राज को दिया हराई।।

चली बराता धूमधाम से।
दिखलाते पुरुषार्थ राम से।

वीरो जैसा बाना पहना।
माथे पगड़ी भाला गहना।।

आंखों आंधी पैरों पांगी।
रामदेव ने कीनी साथी।।

जब दुल्हन फेरे करवाई।
चमकी आंखें पैर चलाई।।

सखियों ने मिल हंसी रचाई।
मारी बिल्ली थाल सजाई।।

भागी बिल्ली सब ने देखा।
चमत्कार है राम विशेषा।।

लक्खा को परचा दिखलाया।
मिसरी से जब नमक बनाया।।

खबर सुनत ही डाली आई।
जो थी राधा की परछाई।।

गाय बाछरा जंगल छोड़ा।
बाबा से जब नाता जोड़ा।।

भाले से तालाब खुदाई ।
जंभेश्वर का दंभ मिटाई।।

सुगना बेटा सर्प डसाई।
करी कृपा तो लिया बचाई।

आदू भैरव राक्षस मारे ।
हरजी भाटी को तुम तारे।।।

देवा सबकी करो सहाई ।
भूखे भोजन क्हार सगाई।।

तंबूरा के भजन तुम्हारे।
गांव गांव होते भंडारे।।

हाथों झंडा घोड़ा लेकर ।
घर द्वारे को पानी देकर।।

वाहन पैदल भक्तां आते ।
बाबा का सब ध्यान लगाते।।

रोगी काया निर्मल होई।
जो छल छोड़ भजे नर सोई।।

टप टप घोड़ा की असवार।
दूर करो प्रभु विपद हमारी।।

चमत्कार तुमने दिखलाये।
सारी दुनिया महिमा गाये।।

जो कोई चालीसा गावे।
माया काया बुद्धी पावे।।

मसान कवी ने कविता लेखा।।
ग्राम झिकड़िया परचा देखा।।

चौदह सौ अंठाणवे, रामदेवरा आन।
समाधि में बाबा गये, करते अंतर ध्यान।।

परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्यप्रदेश शासन तथा देश के कई राज्यों ने पुरस्कृत भी किया है। डॉं. मसानिया विगत १० वर्षों से हिंदी गायन की विशेष विधा जो दोहा चौपाई पर आधारित है, चालीसा लेखन में लगे हैं। इन चालिसाओं को अध्ययन की सुविधा के लिए शैक्षणिक, धार्मिक महापुरुष, महिला सशक्तिकरण आदि भागों में बांटा जा सकता है। उन्होंने अपने १० वर्ष की यात्रा में शानदार ५० से अधिक चालीसा लिखकर एक रिकॉर्ड बनाया है। इनका प्रथम अंग्रेजी चालीसा दीपावली के दिन सन २०१० में प्रकाशित हुआ तथा ५० वां चालीसा रक्षाबंधन के दिन ३ अगस्त २०२० को सूर्यकांत निराला चालीसा प्रकाशित हुआ।
रक्षाबंधन के मंगल पर्व पर डॉ दशरथ मसानिया के पूरे ५० चालीसा पूर्ण हो चुके हैं इन चालीसाओं का उद्देश्य धर्म, शिक्षा, नवाचार तथा समाज में लोकाचार को पैदा करना है आशा है आप सभी जन संचार के माध्यम से देश की नई पीढ़ी को दिशा प्रदान करेंगे।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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