रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
इंदौर म.प्र.
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साजन के घर तन है पर मन पीहर में है।
छूट गया दुल्हन का बचपन पीहर में है।प्यारी गुड़िया कैसे भूले
सपने में भी मन को छू ले
सखियों से झगड़े के कारण
फुग्गे-से मुँह फूले-फूलेसखियों संग झूलों का सावन पीहर में है
छूट गया दुल्हन का बचपन पीहर में।हरी-भरी तुलसी आँगन की
न्यारी सुन्दरता उपवन की
त्रुटि अगर कोई हो तो फिर
स्नेहसिक्त झिड़की परिजन कीमधुर-मधुर यादों का चन्दन पीहर में है।
छूट गया दुल्हन का बचपन पीहर में।सुनकर पापा जी की डांट
मन होता था कभी उचाट
होती थीं मनुहारें भी फिर
थे बचपन में कितने ठाटपापा का स्नेहिल अनुशासन पीहर में है।
छूट गया दुल्हन का बचपन पीहर में।सर्वाधिक था माँ प्यार
करती थी वह बहुत दुलार
है असीम माँ का ऋण तो
प्रकट करे कैसे आभारमाँ के आँचल का सुख पावन पीहर में है।
छूट गया दुलहन का बचपन पीहर में है।रोक-टोक भाई की हरदम
वाद-विवादों के अनेक क्रम
होते रहते थे आए दिन
वाकयुद्ध दोनों के जम-जमशिक्षाप्रद भ्राता-उद्बोधन पीहर में है।
छूट गया दुल्हन का बचपन पीहर में।
परिचय – रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद
कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य
सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा
लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि।
प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं।
विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। सन्रा १९९२ में राज्यपाल से अवार्ड मिला।
लेखनी का उद्देश्य ~ राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता तथा व्यक्तिगत सर्वांगीण विकास।
पसंदीदा हिन्दी लेखक ~ शिवमंगलसिंह सुमन, दुष्यंत कुमार, नीरज
विशेषज्ञता ~ मैं सदैव स्वयं को विद्यार्थी मानता आया हूँ।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार ~ भारत से मैं असीम प्रेम करता हूँ। धरती पर ऐसा अद्भुत महान देश अन्यत्र नहीं। मुझे हिन्दी बोलने,पढ़ने और इस भाषा में कुछ भी लिखने में बहुत गर्व का अनुभव होता है।
मौलिकता की जिम्मेदारी ~ मैं मौलिकता को लेखन का अनिवार्य अंग मानता हूँ।
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