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कुलक्षणी औरत

आशीष तिवारी “निर्मल”
रीवा मध्यप्रदेश

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मैं जब भी गाँव जाता तो देखता कि रामदास की घरवाली गृहस्थी के काम में हर पल उलझी ही रहती! बेचारी को पल भर की फुर्सत नहीं थी घर के काम से, शान-शौक तो जैसे सब कब के छूट चुके थे! सिर पर जिम्मेदारी का बोझ था, देखने में लगता जैसे बीमार हो बेचारी! वहीं दूसरी ओर उसका पति रामदास निहायत निठल्ला, कामचोर, पत्तियाँ खेलते हुए समय बेकार करता रहता था! घर की स्थिति बेहद नाजुक थी!गरीबी तो मानो छप्पर पर चढ़कर चिल्ला रही थी कि उसका हमेशा से शुभ स्थान रामदास का घर ही रहा है! इस बार मैं चार महीने से गाँव नही जा पाया था, लेकिन चार महीने बाद में जब गाँव गया तो देखा कि रामदास का तीन कमरे का पक्का मकान बना हुआ था! रामदास ने एक आटो भी खरीद ली थी! सब कुछ बहुत अच्छा हो गया था! मैं ने रामदास से पूछा कि इतना परिवर्तन अचानक कैसे हुआ? और तुम्हारी घर वाली नही दिख रही है? रामदास बोला- भैया जी मेरी घर वाली एक कुलक्षणी औरत थी! अब वह इस दुनिया में नहीं है उसके मरते ही मेरे घर का दारिद्र दूर हो गया! मैं ने आश्चर्य भरे स्वर में पूछा उसकी मृत्यु कैसे हुई? रामदास ने बताया कि उसकी मृत्यु विषैले सांप के काटने से हुई! उसकी मृत्यु के उपरांत शासन से जो आर्थिक मदद मिलती है सर्पदंश से मौत होने वाले लोगों के पारिवारिक जनों को उसी पैसे से मेरी किस्मत पलट गई घर बन गया, आटो खरीद ली, और दूसरी शादी भी कर ली! रामदास सारी बातें एक सांस में कह गया! अब मैं खामोश था कि एक औरत सारी उम्र दुख दर्द सहकर रामदास के घर को सांवरने में गुजार दी, उसके मरणोपरांत पैसे मिले, रामदास कि किस्मत के ताले खोलकर गई वो इस दुनिया से, फिर भी बदले में उस बेचारी औरत को नवाजा गया “कुलक्षणी औरत” के अलंकरण से, मेरा गला रुंध गया था आंखे सजल थीं और मैं स्त्री जीवन और स्त्रियों के संघर्ष के विषय में सोचते हुए वापस शहर लौट आया था!

परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्तमान समय में कवि सम्मेलन मंचों व लेखन में बेहद सक्रिय हैं, अपनी हास्य एवं व्यंग्य लेखन की वजह से लोकप्रिय हुए युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल की रचनाओं में समाजिक विसंगतियों के साथ ही मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण, भारतीय ग्राम्य जीवन की झलक भी स्पष्ट झलकती है, इनकी रचनाओं का प्रकाशन एवं प्रसारण विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं दूरदर्शन- आकाशवाणी के विविध केंद्रों से निरंतर हो रहा है। वर्तमान समय पर हिंदी और बघेली के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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