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विरह वेदना

अन्नू अस्थाना
भोपाल (मध्य प्रदेश)

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पथराई आंखो में छलकते आंसुओं के समंदर का दर्द है विरह
किसे पता है, ये किसकी आँखें है, किसे पता है किसके आंसु हैं,
आंसुओं के समंदर पर ये अश्रु है किसके
पिया मिलन कि आस लिए,
विरह में पथराई सजनी कि आंखे
अपने बच्चों से विरह हुए,
माँ कि आँखें भी हो सकती है,

या पिता के अश्रुओं का समंदर भी हो सकता है
विरह केवल बौझिल बेदम नहीं है
जीत का मार्ग भी होता है विरह।
सीता से विरह के बाद ही

लंका पर विजयश्री का मार्ग प्रशस्त किया, श्री राम ने
पत्नी रत्नावली के प्रेम से विरक्त होकर,

विरह जीवन बिताकर
रामबोला से गोस्वामी तुलसीदास बन,
रचित किया श्रीरामचरित्रमानस ग्रंथ
विरह में केवल डूबना हि नहीं होता
भव सागर भी पार हो जाता।

परिचय :-  अन्नू अस्थाना
निवासी :- भोपाल, मध्य प्रदेश
कविता लिखने कि प्रेरणा :- कवि संगोष्ठीयों में भाग लेते थे एवं कवियों से प्रेरणा स्वरूप हिन्दी भाषा से स्नेह होता चला गया तथा हिन्दी में कविता लिखने का ज्ञान होता चला गया।
वर्तमान कार्य:- हिन्दी टाइपिंग कार्य एवं छायप्रति (फोटो काॅपी) कार्य
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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