Saturday, November 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

हरते हैं अंधियारे राम

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच

********************

सत्य न्याय दया समरसता,
के सूरज को धारे राम।
सभी मोह माया लालच के,
हरते हैं अंधियारे राम।।

राम नहीं व्यक्ति एक पथ है,
करता भवसागर से पार।
आत्मसात करलो इस पथ को,
सफर नहीं होगा बेकार।।
रिश्तों की गरिमा सिखलाई,
करना सिखलाया व्यवहार।
सदाचार का अर्थ बताया,
और बताया पापाचार।।
इसीलिए है सबके प्यारे,
जीवन के उजियारे राम ।
सभी मोह माया लालच के,
हरते हैं अंधियारे राम।।

जब दुनिया के ताने सुन सुन,
बनी अहिल्या शिला सामान।
झरना सूख गया चंचल मन,
उसका नहीं रहा गतिमान।।
माँ कहकर जब उसे राम ने,
प्यार दिया, पाया सम्मान।
जीवन फिर से लगा चहकने,
भूल गई अपना अपमान।।
बिखर गई थी उसे सहारा,
देकर बने सहारे राम।
सभी मोह माया लालच के,
हरते हैं अंधियारे राम।।

साधन नहीं साधना से रण,
जीता जाता है सिखलाया।
अनुभव से लें परामर्श जब,
पूजा की, शक्ति को पाया।।
पुत्र नहीं थे मगर चिता को,
अग्नि दे सुत धर्म निभाया।
रिश्तों की परिभाषा इससे,
अच्छी कौन कहो दे पाया।।
कोई कदम उठाते हैं कब,
बोलो बिना विचारे राम।
सभी मोह माया लालच के,
हरते हैं अंधियारे राम।।

साथ वंचितों का लेकर के,
शक्ति बढ़ाने वाले राम।
निर्बल को बल देने वाले,
बलशाली रखवाले राम।।
हनुमान सा भक्त शिरोमणी,
पड़े जरूरत ढ़ाले राम।
बेलगाम होती मर्यादा,
के दर के हैं ताले राम।।
नंगे पांव भटकने पर भी,
कब मुश्किल में हारे राम।
सभी मोह माया लालच के,
हरते हैं अंधियारे राम।।

राजमुकुट दशरथ का बाली,
ने जो बल से कब्जाया था।
कैकई ने वो इज्जत लाने,
प्रिय राम को पहुंचाया था।।
राजभवन में शोकाकुल जो,
दशरथ को जग ने पाया था।
फलित हुआ अभिशाप मृत्यु का,
पुत्र वियोग सम्मुख आया था।।
लिखा विधी का होता ही है,
नहीं किसी को मारे राम।
सभी मोह माया लालच के,
हरते हैं अंधियारे राम।।

“अनन्त” राज दिलों पर करने,
वाले अमर हुआ करते हैं।
दिव्यगुणों के रथ पर चढ़कर,
जो चलते हैं कब डरते हैं।।
धैर्य और संतोष लिए नभ,
में उड़ान अपनी भरते हैं।
शांति सिया मिलती है उनको,
राम बने सीता वरते हैं।।
अंधकार में ज्योति पुंज हैं,
करते वारे न्यारे राम।
सभी मोह माया लालच के,
हरते हैं अंधियारे राम।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … 🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *