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उन्मुक्त रहे हमारी स्वतंत्रता

बिपिन कुमार चौधरी
कटिहार, (बिहार)

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महत्वाकांक्षा की धूमिल काली बदरी,
खोज रहे लाल, नीयत जिनकी गुदड़ी,
चतुराई की बिसात ओढ़े सरलता की चुनड़ी,
दिखाए चंडी का रूप, जिनका अंतर्मन घमंडी,

उन्मुक्तता जिनका राग, उन्मुक्त जिसकी जिंदगी,
आंख बन्द करते जिनपर विश्वास साथी-संगी,
शिकंजे में बांधने की कोशिश, देखना स्वप्न सतरंगी,
कैसे बने काफ़िला, आदमी जब खुद हो मतलबी,

त्याग की बंशी, सहयोग का सुर ताल,
निज स्वार्थ की ओट में नहीं करना बबाल,
चालाकियों के कोष से रहे बिल्कुल कंगाल,
नतमस्तक होते वहीं, हम जैसे कई कंगाल,

शान शौकत, ऐशन फ़ैशन से नहीं हमारा वास्ता,
हमें भाये सर्वजन हित, चाहे दुर्गम हो रास्ता,
दौलत शोहरत के बुंलदियों की ख्वाहिश नहीं,
उमनुक्तता हमारी पहचान, उन्मुक्त रहे हमारी स्वतंत्रता…

परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक)
निवासी : कटिहार, बिहार
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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