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कितना ख़्याल वो रखता हैं

निर्मल कुमार पीरिया
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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मेरी हर चीज,
सहेज कर रखता हैं,
ये ख्याल भी हैं कि,
मन मे बसाये रखता हैं…
चाहा जब करना बातें,
बैठ सामने शीशे वो,
मन भर ख़ुद ही से,
पहरो गुफ़्तगू करता हैं…
मेरा हर ख्याल सहेज कर रखता हैं।

मेरा हर लम्हा,
सहेज कर रखता हैं,
मलमली सी वो यादे भी,
दिल मे बसाये रखता हैं…
संगी सतरंगी लम्हें को,
कभी रुठे,भीगे हर पल को,
पलछिन मुस्काते लम्हों संग,
तरतीब से वो पिरोता हैं…
मेरा हर वक़्त सहेज कर रखता हैं।

मेरा हर हिस्सा,
सहेज कर रखता हैं,
महकी बाहें,बहकी बातें,
शरमाती वो मदमाती रातें…
अलकों में अटके चाँद का,
साँसों में महकी साँस का,
रक्त सीप में टके जो मोती,
नखशिख,नजरो से सजाता हैं..
मेरा हर रंग रूप सहेज कर रखता हैं।

मेरा हर वक़्त सहेज कर रखता हैं।
मेरा हर ख्याल सहेज कर रखता हैं।
मेरी हर चीज ,सहेज कर रखता हैं…

परिचय :- निर्मल कुमार पीरिया
शिक्षा : बी.एस. एम्.ए
सम्प्रति : मैनेजर कमर्शियल व्हीकल लि.
निवासी : इंदौर, (म.प्र.)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं


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