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खफा हैं सभी

आशीर्वाद सिंह
प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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सभी खफा हैं मेरे लहजे से
पर मेरे हालात से कोई वाकिफ नहीं।
आज तो हद ही हो गई इंतिहा की,
जब सिसक कर बोल उठा वक्त मेरा,
कहता है तेरे साथ चलना अब मेरे बस की बात नहीं।

मैनें भी बड़े प्यार से उससे कहा
ठहर जा मेरे साथी अगर तू नहीं तो मैं नहीं।
रहेगा तू मेरे साथ तो तेरा भी नाम होगा,
क्योंकि मेरा यह प्रयास अंतिम नही।

फिर भीनी आवाज मे कहता है मुझसे,
तू इतना कठोर कैसे बन गया,
क्या तुझे मुझसे लगता डर नहीं।
मैंने कहा डर किस बात की साथी,
बहुत मुसीबतों के बाद हुआ हूँ कठोर,
छोड़ दिया मेरे बहुत से अपनों ने,
ये कहकर कि मैं उनके काबिल नहीं।

तेरी परेशानी भी समझ रहा हूँ मैं
क्योंकि वक्त किसी का गुलाम नहीं।
लेकिन अब तू भी छोड़ देगा मेरा साथ,
तो मैं रह जाऊँगा किसी काम का नहीं।
बस इतनी सी विनती है तुझसे,
ना छोड़ मुझे बीच मजधार मे अकेला,
नाम ऊंचा होगा मां बाप का करूंगा उन्हे बदनाम नहीं।

 

परिचय :- आशीर्वाद सिंह
निवासी : प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश
उद्घोषणा : यह प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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