Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

फरियाद

प्रवीण कुमार बहल
गुरुग्राम (हरियाणा)

********************

हम दास्तान फरमाते रखें…
पर सुनने वाला कोई ना था
शायद यही कारण रहा…
कि हम जिंदगी जीत ना सके
तनहाइयां हर तरफ घेरे रही
और हम किसी के हो ना सके…
फरियाद क्या करते किसी से
हर गम दिल में छुपाते रहे…
अपने दर्द किसी को- सुना ना सके
दिल तो दर्द से भरा रहा…
दिल के चिराग जला ना सके…
मोहब्बत का इजहार कैसे करते हैं…
दिल ने कभी करने ना दिया…
फरियाद क्या करते सुनने वाला
कोई ना था
शौक बहुत है जिंदगी में
कमबख्त वक्त नहीं कभी..
पूरे होने ना दिया-क्या करता
जिंदगी की हसरतों को…
कभी दिल का सहारा ना मिला
दिल भी जलता तो रहा…
पर खामोश आग की तरह
जिंदगी के चिराग तो…

हर पल बुझते रहे-दिल के घाव
बढ़ते रहे
हर पल चरागों के जलने की गर्मी…
जिंदगी के चारों ओर सिमट कर रह
गई
इलाज ढूंढता रहा- इलाज हो ना
सका
पर सभी ने इसे लाइलाज कह
दिया
मेरी आकांक्षाओं पर पानी फिर
गया-चमन से मोहब्बत तो थी…
पर चमन का रास्ता ना मिला…
मैं प्यासा ही चलता रहा…
कोई साथी ना मिला
चाह कई बार थी…
मधुशाला की ओर चल भी दिया
पीने की चाह भी थी….
पर पीने का प्याला ना मिला
और मिला भी- तो टूटा हुआ
मिला
पीने की चाहा की हसरत भी रह
गए
फरियाद किससे करता-सुनने
वाला नहीं था

 

परिचय :- प्रवीण कुमार बहल
जन्म : ११-१०-१९४९
पिता : डॉ. मदनलाल बहल
व्यवसाय : सेवानिवृत- मैनेजर, इंडियन ओविसीज बैंक
निवासी : गुरुग्राम (हरियाणा)
उपन्मास : रिश्ता, ठुकराती राहें
काव्य संकलन : खामोशी, दिशा, चिराग जलते रहें, आंसू बहते रहे, आदि १० पुस्तकों का प्रकाशन।
पुरस्कार : १९८० में राष्ट्रपति द्वारा नेशनल अवार्ड सहित १०० से अधिक सम्मान से सम्मानित।
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *