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तूने जो दिया ज़ख्म

दामोदर विरमाल
महू – इंदौर (मध्यप्रदेश)

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तूने जो दिया ज़ख्म तो नासूर बन गया।
धोखा और दिल तोड़ना दस्तूर बन गया।

मुझको तू दिखाती रही मजबूरियां सभी…२
मैं भी उन्ही को देखकर मजबूर बन गया।

तूने जो दिया ज़ख्म तो नासूर बन गया।

बनते हो क्यों शरीफ गुनहगार हो तुम्ही…२
जो दिखाया आईना तो ये कसूर बन गया।

तूने जो दिया ज़ख्म तो नासूर बन गया।

दुनिया की चमक तुमको मुबारक हो मतलबी…२
तुमको सनम बता के मैं मशहूर बन गया।

तूने जो दिया ज़ख्म तो नासूर बन गया।

परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके नानाजी थे। हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं आपके द्वारा अभी तक कई कविताये, मुक्तक, एवं ग़ज़ल व गीत लिखे गए है, जो आये दिन अखबारों में प्रकाशित होते रहते है।  गायन के क्षेत्र कराओके गीत गाने में आप खासी रुचि रखते है।


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