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प्रीत की पाती

रागिनी सिंह परिहार
रीवा म.प्र.

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(हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता लेखन प्रतियोगिता में प्रेषित कविता)

लिखती हूँ पाती नैनन से,
आ जाओ अब मेरे मोहन।
बहुत बर्ष बीत गए हैं अब,
याद बहुत सताती हैं।
दो दिन तक कह कर गये थे तुम,
अब तक सावरे तुम नही आये।
ये प्रीत की पाती लिख लिख कर,
नैनन से अश्क बहाती हूँ मोहन।
आ जाओ अब मेरे दिलवर,
तेरी याद बहुत तडपाती है।
जब चिड़िया करलव करती है,
नदिया जब कल कल बहती है।
तब याद तुम्हारी आती मोहन।
आ जाओ अब मेरे मोहन,
तेरी याद बहुत तडपाती है।
मैं प्रीत की पाती लिख लिख कर,
मनमीत तुम्हे भेजवाती हूँ।
हृदय वेदना लिख कर,
नाथ तुम्हे बुलाती हूँ।
नैनन से नीर बरसता हैं,
आ जाओ अब मेरे मोहन।

परिचय :- रागिनी सिंह परिहार
जन्मतिथि : १ जुलाई १९९१
पिता : रमाकंत सिंह
माता : ऊषा सिंह
पति : सचिन देव सिंह
शिक्षा : एम.ए हिन्दी साहित्य, डीएड शिक्षाशात्र, पी.जी.डी.सी.ए. कंप्यूटर, एम फील हिन्दी साहित्य, पी.एचडी अध्ययनरत


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