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जिंदगी एक बार तो बता देती

प्रवीण कुमार बहल

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वह कौन है जो मुझसे नफरत करता है
क्यों मेरे बगीचे में उसका हल्ला चलता रहता है
उसे ना तो कयामत का डर
को नफरत थी मुझसे
मैं तो उसकी तमन्ना पूरी करता रहता
तकल्लुफ.. क्यों करते
मैं तो रोज ही आकर कह देता
अपने दरबार में रोज बुला लेता
ताकि तुम चंद लोगों के आगे
मेरी हसरतों का जनाजा ना पीटते
मुझे देखना था.. वह कौन है
जो मेरे से नफरत करता है
मेरे पास आता.. मैं तुम्हें खुद
आंखों पर बिठा लेता
मैं तो सामने आने वालों से प्यार करता हूं
जिंदगी एक बार तो बता दे..वह कौन है
जो मुझसे नफरत करता है

परिचय :- प्रवीण कुमार बहल
जन्म : ११-१०-१९४९
पिता : डॉ. मदनलाल बहल
व्यवसाय : सेवानिवृत- मैनेजर, इंडियन ओविसीज बैंक
निवासी : गुरुग्राम (हरियाणा)
उपन्मास : रिश्ता, ठुकराती राहें
काव्य संकलन : खामोशी, दिशा, चिराग जलते रहें, आंसू बहते रहे, आदि १० पुस्तकों का प्रकाशन।
पुरस्कार : १९८० में राष्ट्रपति द्वारा नेशनल अवार्ड सहित १०० से अधिक सम्मान से सम्मानित।
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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