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अहसास हार का…

मित्रा शर्मा
महू – इंदौर

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फलक तक आकर न लौट ए खुशी
हम दीदार की आस लगाकर बैठे हैं।
गम के सायों से जरा दूर रह ए खुशी
इंतजार में आंसू बहाकर बैठे है।
छलछलाती आखों से विदा किया था।
तेरे शब्दों के कसीदे पे भरोसा किया था।
जब अपने ही पराये से होने लगे,
जजबातों से खिलवाड़ करने लगे
होता रहे अहसास हार का रिश्तों में
इशारों इशारों में किस्से लिखने लगे

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परिचय : मित्रा शर्मा – महू (मूल निवासी नेपाल)


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