अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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समर्पित- दंगो के दौरान फर्ज निभाती निर्दोष पुलिस पर होने वाले हिंसक हमलों की अमानवीयता दर्शाने का प्रयास
परसी थाली छोड़ मैंने फोन उठाया
जबकि अभी हाल ही सत्तरह घण्टे
ड्यूटी कर, घर आया।
रात के बजे हैं एक,
बच्चे लंबे समय तक राह देख,
कि,
पापा कुछ लाएँगे
आस लगाए सो गए हैं।
ना जाने पापा किस दुनियां में
गुम हो गए हैं?
देखकर सोते बच्चों को
आँख मेरी भर आईं।
हिम्मत बाँधती उसनींद पत्नी नज़दीक आई।
हाँथ ही धोये की वो झट खाना ले आई।
समझ गई, दौरान ड्यूटी, खाना तो आया होगा।
कईलाशों के बोझ! कंधों, चीखों के कान में थे;
मैंने नहीं खाया होगा।
भूख लगती भी किसे है ऐंसे हालातों में?
एक पुलिस रखती धैर्य उन्मादी जज्बातों में।
एक ही खाया था कौर; की उस ओर;
घण्टी फिर से फ़ोन की बजी।
रोका संगिनी ने हाँथ थाम लिया
कल ही तो देखी है एक
पुलिस वाले कि अर्थी सजी।
पर मैंने दिलासा दिया ना डर पगली;
बड़ा हिम्मतवाला हूँ आख़िर;
मैं भी तो पुलिस वाला हूँ।
चला गया खाना वहीं छोड़ फिर;
कर्मपथ पर बचाने अपनों को ।
पर ये क्या?
मुझे ही घेर लिया राहगीरों ने ?
और मुझपर ही पत्थर बरसाने लगे ।
कुछ कहा ना सुना
बैर का तांडव दिखाने लगे।
मैं तो गाड़ी में था साथियों के साथ
खींचकर ये पागल भीड़ मुझे अकेले ले आई।
कुछसमझ पाता इससे पहले ही,
सर् फोड़डाला वार पर किये वार
साँसों का दामन ही तोड़ डाला।
क्या कहूँ उनसे जो मेरा कर रहे होंगे इंतजार?
मैं कैसा हिम्मतवाला हूँ?
हाँ; कहने को तो अभी भी एक
पुलिस वाला हूँ।
मैं कोई अतिवादी वक्ता नहीं था;
ना मैंने दंगे भड़काए थे?
गया था उन्हीं की मदद करने
जो हमला करने मुझपर आये थे।
मुझे बस फ़र्ज की सज़ा मिली है।
मैं तो हो गया शहीद पीछे छूट गई
प्यारी मुझ पर ही निर्भर सारी ‘फैमिली’ है।
कसक बस इतनी रही
किसी से मेरी ना सुनी ना कही
शत्रु तो नहीं; जिनकी वज़ह से
वीरगति के उपहार ने सराहा है।
ग़ैर नहीं ज़नाब मुझे मेरे अपनों ने ही मारा है।
मुझे मेरे अपनों ने ही मारा है।
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परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
जन्म – २१/१०/१९८७
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है
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