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ये हिन्दुस्तां हमारा है।

प्रिन्शु लोकेश तिवारी
रीवा (मध्य प्रदेश)
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जगत को सीख देता है प्रभू की अमर कहानी से।
पतित तरु सींच देता है प्रभू की मधुभरी वानी से।
शत्रु दल कांप जाता हैं यहां की अमित जवानी से।

सत्य की जीत होती है औं धरमों का सहारा है।
ये हिन्दुस्तां हमारा है ये हिन्दुस्तां हमारा है।

यहां की गोद में गंगा जी प्रतिदिन वास करती हैं।
पतित नर का पतन वो क्षण भर में नाश करती हैं।
यहां के राज धरमों में प्रजा विश्वास करती है।

यहां का हर शहर हर गांव लगता कितना प्यारा है।
ये हिन्दुस्तां हमारा है ये हिन्दुस्तां हमारा है।

मां के सिर-मुकुट में बर्फ़ कि मणियां चमकती हैं।
यहां हर पुत्र के हर रोग कि जड़ियां लटकती हैं।
यहां हर एक औषधि डाल में चिड़िया चहकती हैं।

हिमालय से भवानी ने रामेश्वर को निहारा है।
ये हिन्दुस्तां हमारा है ये हिन्दुस्तां हमारा है।

यहां कि रेणु को कृष्णा ने अपने मुख से चाटा है।
विदित है वीर ने अरियों का सिर धर से काटा है।
यहां कुछ मूर्ख भी जन्मे जिन्होंने धर्म बांटा है।

ऐसे मूर्ख को हरिहर ने मिलजुल के मारा है।
ये हिन्दुस्तां हमारा है ये हिन्दुस्तां हमारा है।

परिचय :-  प्रिन्शु लोकेश तिवारी
पिता – श्री कमलापति तिवारी
निवासी – रीवा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।

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