Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

नदी और नारी

अनुराधा बक्शी “अनु”
दुर्ग, छत्तीसगढ़

********************

निश्छल नदी में अक्सर लोग पाप धोने आते हैं।
आस्था के नाम पर गंदा कर चले जाते हैं।
उसकी पवित्रता को दिल में रख कर देखना।
कभी जलजला, कभी किनारे मंदिर बन जाते हैं।
स्त्री और नदी दोनों की पवित्रता में है समानता।
दोनों के गर्भ गृह में सृष्टि का स्पंदन होता।
नदी भी सृजन करता स्त्री भी सृजन करता।
इनकी अमृतधारा पावन करती धरा।
इनकी बाहों में अठखेलियां करते गौतम राम कृष्ण।
इनके पावन तट पूजे जाते कौन हो इनसे उऋण।
नारी से नर बना, नदी में नर तर जाते।
नदी और नारी भक्ति का एक रूप कहलाते।
दोनों की गहराई में उतरकर ही इन्हे पाया जाता है।
इन दोनों का सम्मान करने वाला ही पूजा जाता है।
इनके पावन चरणों में जीवन सुगम सुहाने हो जाते हैं।
ऋषि मुनि पावन धरा पर इनकी वजह से पूजे जाते हैं।
स्वयं को इनमें अर्पण कर दो।
नदी को पूजो, नारी में समर्पण कर दो।
नारी में समर्पण कर दो।

.

परिचय :- अनुराधा बक्शी “अनु”
निवासी : दुर्ग, छत्तीसगढ़
सम्प्रति : अभिभाषक
मैं यह शपथ लेकर कहती हूं कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *