Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

प्रवासी मजदूर और बरसात का कहर

गोवर्धन लाल डांगी
चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)

********************

आज सारे संसार के सामने कोरोना महामारी का प्रकोप पांव पसार खडा़ है, मानव को झंकजोर कर रख दिया है। एक दूसरे की संवेदना शून्य सी जान पडती है। विश्व की सभ्यता, संस्कृति और सामाजिक ढांचे में अचानक बदलाव आया है, इन सब का शिकार मजदूर वर्ग हुआ है। भारत में प्रवासी मजदूरों के साथ एक राज्य ने दूसरे राज्य के साथ जो व्यवहार किया है, वह भयावह रुप है। शहर से अपने पितामह के घर पहुचे पहुंचे ग्रीष्म ऋतु से वर्षा ऋतु तक का हम सफर रहा है। रास्ते चलते जिस माँ ने अपने नवजात शिशु को जन्म देते ही मीलों दूरी तय की हो, ऐसी माँ को सलाम, जब वह घर पहुची होगी तब दरवाजे पर घड़ी भर खुब रोयी होगी, घर खण्ड पडा है, ऊपर से बादल मेहरबान है.वहाँ एक रात नही महिने गुजारने है, ऊपर खुला आसमान नीचे पैरों में बहता पानी। इन दोनों पाटों के बीच पिसता मेरे देश का मजदूर, मेरे देश के आर्थिक ढाचे की नीव। इन मजदरो के सामने कई सारे सवाल है- रोटी, कपडा, मकान और बच्चों की शिक्षा। बरसात आरंभ हो गयी है घर कच्चा और खण्डहर है उसमें बिमार बूढ़े माँ-बाप श्य्या पर लेटे है। छत टपकती है, बच्चे माँ की छाती से लिपटकर रात गुजार समय, हवाओं के चलते दीवार में ही समा जाएगें। भूखमरी की मार झेलते झेलते यूँ ही हिन्दुस्तान की मिट्टी में मिल जायेगें। रामधारी सिंह दिनकर की पंक्ति आज साकार हो उठी है- ‘श्वानो को मिलता दूध भात भूखे बच्चे अकुलाते हैं, माँ की हड्डी से ठिठुर चिपक जाड़े की रात बिताते है’ ये मजदूर अपने आप को कोसते हुए कहते हैं- ‘धिक् जीवन जो पाता ही आया है विरोध, धिक् साधन जिसकें लिए सदा ही किया शोध। ‘जिन कलकारखानो में अपनी कई पीढियों को खफा दिया फिर भी मजदूर का मजदूर ही रह गया। आज उसके सामने खेती के अलावा ओर कोई रोजगार नहीं बचा है, देश के हालात सामान्य होते होते नया साल आ जाएगा, राजनैतिक दलों को भी ऐसे वक्त में तू तू मै मैं की जगह मिलकर काम करना चाहिए, आज हमें एक बार जागना है शून्य होती संवेदना में मानवीय मूल्यों का संचार करना है। इस भयानक विपदा में भी मजदूर की जो जीने की जिजीविषा उसे जीवित रखना है….

.

परिचय :- गोवर्धन लाल डांगी (शोधार्थी)
पिता : हीरा लाल डांगी
जन्म : २१/०५/१९८५
निवासी : शोधार्थी चित्तौड़गढ़ राजस्थान
शिक्षा : एम.ए. नेट (हिन्दी)
सम्प्रति : अध्ययन प्रकाशित पुस्तकें- व्यवहारिक हिन्दी व्याकरण एवं रचना, हिन्दी काव्यांग विवेचन’, हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, हिन्दी शिक्षण विधियाँ
सम्मान :हिन्दी साहित्य परिषद, कल्लकत्ता प्रशस्ति पत्र, हिन्दी साहित्य परिषद, अहमदाबाद प्रशस्ति पत्र, हिन्दी साहित्य अकादमी गुजरात, संगोष्ठी, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा, पर्यावरण संरक्षण संस्थान ए ग्रेड, हिन्दी विभाग, गुजरात विश्वविद्यालय, संगोष्ठी, अक्षर वार्ता पत्रिका नागपुर, गुजरात प्रांतीय राष्ट्र भाषा प्रचार समिति
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *