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पकरे कान आज से

प्रेम प्रकाश चौबे “प्रेम”
विदिशा म.प्र.

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भइया, पकरे कान आज से।
दूरई अच्छे जा समाज से।

जीबो नइं मरबोई तै है,
“बिस पानी” और “जहर नाज” से।

सत्तर बरस गए, पै अब भी,
दूरी बई की बई, सुराज से।

बड़े सेठ जे सांची मानो,
पल रए “हमरे खून” ब्याज से।

“प्रेम” रोज की चें चें, किल किल,
भले अकेले जा लिहाज से।

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परिचय :-  प्रेम प्रकाश चौबे
साहित्यिक उपनाम – “प्रेम”
पिता का नाम – स्व. श्री बृज भूषण चौबे
जन्म –  ४ अक्टूबर १९६४
जन्म स्थान – कुरवाई जिला विदिशा म.प्र.
शिक्षा – एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल
प्रकाशित पुस्तकें – – “पूछा बिटिया ने” आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ – “ढाई आखर प्रेम के” रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से
अन्य प्रकाशन – अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता, कहानी, व्यंग्य व बुंदेली ग़ज़लों का प्रकाशन।
प्रसारण – आकाशवाणी व दूरदर्शन भोपाल से कविताओं व बुंदेली ग़ज़लों का प्रसारण।


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