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सफ़र

अमरीश कुमार उपाध्याय
रीवा म.प्र.

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जो मकान किराए के है,
दरो दरख़्त की परवाह नही करते,
समंदर से भी गहरी दीवारें है,
एक जैसी नहीं रहती,
नदियों सा अपना लेते है किनारों को,
ऐसे मकान दिलो पर राज करते है,
बना किराए का मकान,
हम सफ़र साथ नहीं रखते,
घरोदा भी नहीं बनते,
वो जमीन पर निगाह नहीं रखते,
हौसलों की उड़ान कम नहीं रखते,
वे बेपरवाह पंछी है,
बादलों के नीचे उड़ान नहीं करते,
जो मकान किराए के है,
दरो दरख़्त की परवाह नही करते……।

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परिचय :- अमरीश कुमार उपाध्याय
निवासी – रीवा म.प्र.
पिता – श्री सुरेन्द्र प्रसाद उपाध्याय
माता – श्रीमती चंद्रशीला उपाध्याय
शिक्षा – एम. ए. हिंदी साहित्य, डी. सी. ए. कम्प्यूटर, पी.एच. डी. अध्ययनरत

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