धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)
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जंग जंग जंग
जरूरी है, जंग
स्वाभिमान के लिए।
परंतु,
जंग, छीन लेती है
मुस्कान।
टूट जाता है घोसला
चिड़िया का
जो ऊंचे चिनार की
टहनियों पर बना है।
हो जाता है पानी
सुर्ख नदियों का,
पिघलती है बर्फ
जाड़ो में भी,
और रिसने लगती है
आँखे, बून्द बून्द।जंग जंग जंग
जरूरी है, जंग
स्वाभिमान के लिए
परंतु,
टूटी चूड़ियां
खनका नही करती
सिंदूर की लाली
मांग की हद तोड़ कर
उतर आती है,
वर्धियो पर
कस के चिपक जाती है
वर्धिया
बेजान जिस्मो पर।
फिर खो जाता है
सिंदूर अनंत में
हमेशा हमेशा के लिए।
अबोध बचपन
लाचार बुढापा
बेबस जवानी
टुकुर टुकुर
ताकते रहते है
उन बक्सों को
जो दूर कही से लाया होता है
घर के आंगन में।
सपने व सिंदूर
रिसते रहते है उसकी किनारों से
बून्द बून्द।जंग जंग जंग
जरूरी है, जंग
स्वाभिमान के लिए
परंतु,
ढक लेते है धूल के गुबार
गेंहू की बालियों को
भर जाती है बारूद की गंध
चंपा, चमेली, गुलाब में
न चाहते भी, सुलाते है
खेत खलियान
अपने जवान बेटों को
अपनी आगोश में
हमेशा हमेशा के लिए
आम की डाली पर
अब कोयल नही गाती
नही गौरैया
आंगन में फुदकती है।
हवाएं गुनगुनाती नही
बस धमाकों का
शोर लाती है।
क्रोधाग्नि में जला अहंकार
पश्चयताप बन
दिल से रिसता रहता है
बून्द बून्द।जंग जंग जंग
जरूरी है, जंग
स्वाभिमान के लिए
परन्तु
हर कोई अकेला रह जाता है
जंग हार कर भी
जंग जीत कर भी।
परिचय :- धैर्यशील येवले
जन्म : ३१ अगस्त १९६३
शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से
सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ।
सम्मान : हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
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