नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
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पेड़ कोई राह का फ़िर हरा हो जाएगा।
धूप में कुछ छाँह का आसरा हो जाएगा।
वो हमारे पास जितना आ गए तो आ गए,
फासला जितना रहेगा दायरा हो जाएगा।
खुल के अपनी बात कहना ये हमारी खोट है,
इक सियासी जो कहेगा सब खरा हो जाएगा
ख़्वाब में जितने नज़ारे देखलें तो देखलें,
आँख देखें जो दिखेगा माज़रा हो जाएगा।
पेड़ -पौधे,जीव सारे जो तुम्हारे हैं सहारे,
जो सभी की फिक्र लेगा वो धरा हो जाएगा।
कर रहें हैं बात के जरिये सुलह की कोशिशें,
जो अमन की रीत देगा पैंतरा हो जाएगा।
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परिचय :- नवीन माथुर पंचोली
निवास – अमझेरा धार म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षक
प्रकाशन – देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान – साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह।
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