विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
तोशाम (हरियाणा)
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रात भर लगातार मूसलाधार बारिश हो रही थी। गाँव और शहर भयंकर बाढ़ की चपेट में आ चुके थे। चारों ओर पानी ही पानी का साम्राज्य स्थापित हो चुका था। गाँव के गाँव बाढ़ की भेंट चढ़ चुके थे। असंख्य मवेशी और पंछी भी बाढ़ के पानी में बह गए थे। रघु काका गाँव से दूर उजड़ी बस्ती में एक ऊँचे टीले पर बनी अपनी झोपड़ी में अकेले ही थे। बाढ़ का पानी वहाँ तक नहीं पहुँच पाया था। परंतु बारिश के कारण उसकी झोपड़ी से पानी टपक-टपक कर गिर रहा था। रघु काका चिंतित मुद्रा में कभी चारपाई को इस ओर करते तो कभी उस ओर। ऊपर से मच्छरों की भिनभिनाहट ने जीना मुहाल कर दिया था। एक तो पानी टपकने से झोपड़ी में तालाब का साम्राज्य स्थापित हो चुका था वहीं दूसरी ओर रात भर सो न पाने के कारण रघु काका की आंखें लाल हो गया थी। चूल्हे में पानी भर जाने के कारण रोटी बनाने के लाले भी पड़ गए थे। पत्नी के देहांत के बाद रघु काका के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। दिनभर कोल्हू के बैल की भांति काम करके थके हारे घर लौटने के बाद उसे चूल्हा चैका भी करना पड़ता था। कच्ची-पकी जैसी भी रोटियां बनती बेचारा रघु काका उनसे ही अपना पेट भर लेता था। मगर आज तो शायद उसे कच्ची-पकी रोटियां भी नसीब नहीं होंगी। यही सोचकर उसके माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी इस परिस्थति के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए, विधाता को या प्रशासन को …………….।
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परिचय :–विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
निवासी : तोशाम, जिला भिवानी, हरियाणा
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