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विश्वास है हमको

शरद सिंह “शरद”
लखनऊ

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विश्वास है हमको
चल पडे़गी यह कलम भी,
विश्वास है हमको,
समझेगी हर बात वह भी,
विश्वास है हमको,
न रहेंगी अधूरी पंक्तियां
हर शब्द मुकम्मल होगा
विश्वास है हमको,
अड़ जाती है कभी जिद पर,
आखिर बच्चा है यह कलम भी,
जल्द ही समझ जायेगी
विश्वास है हमको,
इसके सहारे चलते है हम,
यह जानती समझती है कलम,
झुकने न देगी मस्तक मेरा यह,
विश्वास है हमको,
छोड़ दे सारा जहाँ यह
अपने पराये छोड़ दे,
पर न छोडे़गी यह कलम,
विश्वास है हमको ..
.

परिचय :- बरेली के साधारण परिवार मे जन्मी शरद सिंह के पिता पेशे से डाॅक्टर थे आपने व्यक्तिगत रूप से एम.ए.की डिग्री हासिल की आपकी बचपन से साहित्य मे रुचि रही व बाल्यावस्था में ही कलम चलने लगी थी। प्रतिष्ठा फिल्म्स एन्ड मीडिया ने “मेरी स्मृतियां” नामक आपकी एक पुस्तक प्रकाशित की है। आप वर्तमान में लखनऊ में निवास करती है।


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