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पन्ने जिंदगी के

मित्रा शर्मा
महू – इंदौर

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कुछ पन्ने थे पुराने जिंदगी के, कुछ नए कोरे,
कोई थे सुनहरे पन्ने, कोई मनहूसियत से भरे।

गिरेबान में झांका तो, मिले कई ऐसे पन्ने,
चाहत रखते – रखते, हुए पुराने कोरे पन्ने।

किसी में थे खिलते सपने, किसी में मुरझाते ख्वाब थे,
खोजता रहा, ढूंढ़ता रहा, पन्नो में दबे कई राज थे।

त्याग था, समर्पण था, पर खामोश थे वो पन्ने,
उम्मीद कि किरण में जीते रहे, वो भरोसे के पन्ने।

कई पन्नों के साथ आस, हवाओं में उड़ गई।
उड़ गए अरमान, बिखर गई थी तस्वीरें कई

कई पन्नों धूल में मिल गए, फट गए थे कुछ पन्ने
लिखा न गया उसमे, भीग गए अश्कों से पन्ने।

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परिचय : मित्रा शर्मा – महू (मूल निवासी नेपाल)


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