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विशाल रोटी

डॉ. अलका पांडेय
मुंबई (महाराष्ट्र)

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मोहन आज बहुत थक गया मानिक रुप से भी व शारीरिक रुप से भी !
बॉस तो ऐसे काम कराता है की कई बार मन करता है नौकरी छोड़ के भाग जाऊ पर मजबूरी है दो “रोटी “कमाने तो यहाँ पर आया है ! घर की हालत बहुत ही ख़राब, घर गिरवी रखा है, मेरी पढ़ाई के लिये बाबू जी ने वह छूडाना है सबसे पहले, फिर छोटी बहन कंचन की शादी करनी है, माँ बाबू जी को सुख व ख़ुशियाँ तो दू ! पर यह बाँस लहू निचोड़ लेता है अपमानित करता है जो अलग, यही विचार उसके मन में उथल पुथल मचा रहे थे, की राकेश आ गया पीट पर धौल जमा बोला क्या हुआ, मोहन बाँस ने कुछ कह दिया क्या अरे छोड़ उसको चल कैंटीन में चल चाय पीते है, मोहन बोला मुझसे मेहनत चाहे जितनी करा लो पर साला अपमान बर्दाश्त नहीं होता मेरी मजबूरी न होती तो कब का लात मार नौकरी को चला जाता !
राकेश ने कहाँ मोहन तु यहाँ रोटी कमाने आया है, बोल हाँ, मोहन ने कहाँ “रोटी“ के लिऐ ही आया हूँ वर्ना क्यों आता !
तो ये अपमान वग़ैरा छोड़ तुम सिर्फ़ अपना काम ईमानदारी से करो, बॉस की बात पर ध्यान मत दे सोच तुम्हारा व्यक्तित्व निखार रहा है ! तुम्हें सहनशील व धैर्यवान बना रहा है, जब वह तेरा अपमान करे तू भगवान से प्रार्थना करना की हे ईश्वर इसे माफ़ करना यह नहीं जानता यह क्या कर रहा है नादान है मैंने माफ़ किया आप भी करना,
देख तुम्हें कितनी शांती मिलेगी व अच्छा लगेगा, और नहीं तो गाँव में खेती कर फूलों की खेती कर बहुत कम, लागत में बहुत पैसा कमा सकता है ! अपने खेत अपन मालिक, चार लोगों को और रोटी कमाने का मौक़ा दो …
राकेश तो बोल कर चला गया पर मोहन को बहुत राहत मिली उसने तय कर लिया एक साल और काम कर घर छुड़ा लेता हूँ बाँस की बात मन में नहीं लगाना है, साल दो साल बाद में गाँव जाकर खेती करूंगा अब मोहन को अपनी रोटी की ही फ़िक्र नहीं वह औरो को भी रोटी देने वाला बनना चाह रहा था, विशाल रोटी उसे सामने दिखाई दे रही थी उस “रोटी” में अंसख्य चेहरे …..

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परिचय : डॉ. अलका पांडेय एक समाजसेविका के साथ-साथ एक लेखिका भी है, अलका जी का जन्म कानपुर के मंधना के रामनगर मे हुआ था
दादा पं श्यामसुंदर शुक्ल जी संस्कृत के परकांण विद्वान थे। और मंधना कालिदास मे संस्कृत पढ़ाते थे! पिता डां शिवदत्त शुक्ल इंदौर में कालेज मे प्रिंसिपल थे ! लेखन की प्रेरणा दादा व पिता से मिली आपने सैंकड़ों सम्मान प्राप्त किये हैं एवं कई संस्था के साथ विभिन्न पदों पर सक्रिय कार्य कर रही हैं… कई वषों से लेखन कार्य जारी रखते हुए कई साझा संकलनों व पत्रिकाओं में आपकी रचनाये प्रकाशित होती रहती हैं …


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