Monday, November 25राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

कबाड़

डॉ. ज्योति मिश्रा
बिलासपुर (छत्तीसग़ढ)

********************

“कबाड़….शर्माजी बेहद खुश थे उनके पैर मानो जमीन पर ही नही टिक रहे हो ..और हो भी कयो नही उनके इकलौते बेटे रमेश का सीधे अफसर की पोस्ट पर सिलेक्शन जो हुआ था नया घर मिला वो भी हाईफाई सोसायटी मे थ्री बीएचके वरना अब तक तो शर्माजी किराए के मकान मे धक्के खा रहे थे ऐसा नही की उन्होंने कभी अपना मकान नही बनाया था …
बनाया था मगर बेटे रमेश को बडा अफसर बनाने मे उसकी अच्छी पढाई और जरुरतों के लिए बेच दिया तमाम संघर्ष किए इस बीच पत्नी का साथ भी छुट गया मगर हिम्मत नही हारी और बुढापे मे गार्ड की नौकरी भी की …जिसकी बदौलत आज उनका सपना पूरा हो रहा था बहु और दो मजदूरों सहित पूरे घर मे समान बखूबी जमा दिया सचमुच घर एक मंदिर की तरह लग रहा था आखिर थ्री बीएचके मे से एक कमरा उनके लिए भी था दोपहर को रमेश आफिस से लंच करने के लिए घर लौटा तो घर को करीने से सजा देख खुद पर नाज करने लगा …कहा किराए का छोटा सा मकान और कहा सभी कमरे बडे बडे …फिर उसने पूरे घर का मुयायना किया अपना और पत्नी का कमरा देखा फिर किचन और साथ मे बना स्टोर रुम जिसमें तमाम कबाड़ का समान भरा हुआ था ताकि घर मे आलतू फालतू समान दिखाई ना दे …फिर बेडरूम गेस्ट रुम और बडा सा हाल देखा ….
आखिर मे पत्नी को बुलाकर बोला-सुनो …इस स्टोर रुम से ये कबाड़ बाहर निकालो ..इसे बेचो.. फेको …
जो मर्जी करो मुझे ये खाली चाहिए पत्नी ने हैरानी से वजह पूछी तो रमेश बोला-इसमें पिताजी की चारपाई बिछाकर उनके रहने की जगह बनानी है अब बुढापे मे उनके लिए बडे कमरे की क्या जरूरत और जिस कमरे मे पिताजी है उसे मे अपना रीडिंग रूम बनाऊंगा सकून से अपना आफिस का काम करूगां इसके दो फायदे एक तो मुझे कोई डिस्टर्ब नही होगा दूसरे तुम अपने पर्सनल कमरें जो चाहे करो जैसे मर्जी अकेले रहो……
दोनों पति पत्नी मुसकराते अपने काम को अंजाम देने मे लग गए …रात को स्टोर रुम मे शर्माजी कभी खुदको कभी छोटे से कमरे को देखने लगते …और जब सांस लेते तो उन्हें पहली बार खुद मे से कबाड़ होने की दुर्गंध महसूस हो रही थी ….
निशब्द…

परिचय :- डॉ. ज्योति मिश्रा
पिता : स्व. श्री कृष्णबिहारी मिश्र
माता : स्व. श्रीमती चंद्रकांता मिश्रा
जन्म : ०१/०६/१९५९
निवासी : बिलासपुर (छत्तीसग़ढ)
सम्प्रति : पूर्व प्राचार्या, लेखन “डी.लिट्ट.”- विक्रम-शिला हिंदी विद्यापीठ उज्जैन २०१५
प्रकाशन : १साझा काव्य संग्रह में “महकते लफ्ज़”,
“अनुभूति”,
“मधुबन” श्री सत्यम प्रकाशन दिल्ली
“कविता अनवरत” अयन प्रकाशन दिल्लीमें प्रकाशित।
“हिंदी सागर”, “नारी सागर” जेएमडी प्रकाशन, दिल्ली
“काव्य मंजरी” निकष प्रकाशन दिल्ली
“एकल काव्य संग्रह” “दर्द के फ़लक से” श्री सत्यम प्रकाशन दिल्ली
एकल काव्य संग्रह “मनमीत” श्री सत्यम प्रकाशन,
“मंथरा चरित्रम” अर्द्धपूर्ण
ग्रंथ : “संत शिरोमणि रविदास का भक्ति सागर”
नव भारत समाचार पत्र, युगधर्म, लोकस्वर इत्यादि प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में कवितायेँ छप चुकी हैं
सम्मान : “युग-सुरभि”- दिल्ली २०१५, “हिंदी-रत्न”- विक्रम-शिला हिंदी विद्यापीठ उज्जैन २०१६, “तथागत सृजन सम्मान”- लखनऊ २०१५, श्रेष्ठ कवयित्री, श्रेष्ठ हिंदी सेवी सम्मान, काव्य रंगोली सम्मान, साहित्य सरोज सम्मान, काव्य गौरव सम्मान, शारदे श्री सम्मान,
“शब्द सुगंध” सम्मान एवं अन्य कई सम्मान प्राप्त।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻 hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *