Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

हाँ आग लग चुकी है

पवन मकवाना (हिन्दी रक्षक) 
इन्दौर (मध्य प्रदेश)

********************

हाँ आग लग चुकी है
इक अंधे कुंए में ….
करो जल्दी, और निकाल लो
रखा था/जो कुछ सहेजकर/इस कुंए में
कुंआ जिसमे कुछ ना देता/है दिखाई
थी जिंदगी भर की कमाई,
कुछ दुःख जो बांटे थे कभी/दोस्तों से अपने
कुछ पुण्य जो कमाया था/दया करके किसी पर
कुछ सुख जो पाया था/बनाकर किसी को अपना
कुछ ग़म जो दिए थे/किसी ने सहेजकर रखने को

हाँ जल्दी करो आग लग चुकी है ….

और भी है बहुत कुछ
इस अंधे कुंए में,
अपनों का गुस्सा/माता की ममता/पिता का प्यार
भाई बहनों का खार/दादी का दुलार
जवानी का खुमार
हाँ निकाल लो सब
इससे पहले की सब ख़त्म हो जाए
इस संसार के छल-कपट रूपी आग में
मारा-मारी/जागीरदारी/और दमन में
उन लोगों के जो किसी को पहचानते नहीं
जिनका काम सिर्फ जान लेना/लूटना नोंचना है

हाँ जल्दी करो आग लग चुकी है ….

बचा लो अपनी उजड़ी यादें
और अपना संसार
इसके पहले की कोई/
करे साबित दोषी तुम्हें ….
की किया क्या है/तुमने
आकर इस संसार में
इसके पहले की करे तय कोई
की सजा क्या है
जन्म लेने की तुम्हारे ….

हाँ जल्दी करो आग लग चुकी है ….

परिचय : पवन मकवाना (हिन्दी रक्षक)
जन्म : ६ नवम्बर १९६९
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
सम्प्रति : संस्थापक- हिन्दी रक्षक मंच
सम्पादक- hindirakshak.Com हिन्दीरक्षकडॉटकाम
सम्पादक- divyotthan.Com (DNN)
सचिव- दिव्योत्थान एजुकेशन एन्ड वेलफेयर सोसाइटी
स्वतंत्र पत्रकार व व्यावसाइक छायाचित्रकार


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *