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जीवन साकार करो

मनु जन्म मिला क्यों, आज थोड़ा तुम विचार करो।
जागो गहरी नींद से, मीठे सपनों में ना खराब करो।

कीचड़ में कमल खिलता, वैसे ही तुम खिला करो।
दूर भगाकर दुष्कर्म को, तुम मानवता से प्यार करो।

काम कर निष्काम, तुम कर्म पथ आगे बढ़ा करो।
मान अपना कर्तव्य, हर काम को बस किया करो।

बीत रहा है समय यह, खुद भी थोड़ा विस्तार करो।
धन दौलत चकाचौंध में, तुम इतना ना बहका करो।

भूल भुलैया है यह जीवन, गलती ना बारंबार करो।
चार दिनों की चांदनी में, जीवन ना तुम बेकार करो।

सत्कर्मो की नाव बना, जीवन नैया तुम पार करो।
मन आए विकारों को, गुणी जनों संग बैठ दूर करो।

मनु जीवन सौभाग्य मिला, थोड़ा तुम विचार करो।
तेरी मेरी कर, अनमोल जीवन अपना ना व्यर्थ करो।

कहती वीणा, प्रभु श्रेष्ठ रचना जीवन सार्थक करो।
बहुत कम बची सांसे, सोच समझ कर खर्च करो।

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परिचय : कांकरोली निवासी वीणा वैष्णव “रागिनी” वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय फरारा में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। कवितायें लिखने में आपकी गहन रूचि है।


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