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पहुँचा देना मधुशाला

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’
जौनपुर (उ.प्र.)

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घर घर गैस नही पहुँचाओ बस पहुँचा देना हाला
जीतोगे झकझोर इलेक्शन देगा दुआ पीने वाला
होश में आ जाता है पीकर एक पेग हर दीवाना
मुझसे पूछो उसकी ताक़त क्या होती है मधुशाला

बादल बरसें बिजली तड़के या आँधी तूफ़ाँ आए
क्या मजाल की पीने वाला ख़ाली हाथ चला जाए
पिया नहीं इसको जिसने वो क्या क़ीमत समझेगा
तुम्हें पढ़ाएगा गुण इसका एक प्याला पीने वाला

देखा होगा तुम लोगों ने मेरे जलवे का जलवा
लम्बी लम्बी लगी क़तारें बटता ज्यों पूड़ी हलवा
पी लो एक पेग फिर जन्नत का होगा दीदार तुम्हें
दिखेगी प्यारे तुम्हें मसाना भी प्यारी सी मधुबाला

चिंता औ अवसाद तुम्हारे सब के सब मिट जाएँगे
जो भी ग़म होंगे जीवन में ख़ुशियों में ढल जाएँगे
ग़म की ऐसी तैसी करती एक खुराक करो सेवन
ऊँच नीच हिंदू मुस्लिम का भेद मिटाती मधुशाला

जब तक सूरज चाँद रहेगा मधुबाला का नाम रहेगा
उल्फ़त के हर दीवाने के लव पर उसका जाम रहेगा
मधुशाला पर क़ुर्बानी का क़िस्मत से मिलता मौक़ा
है मधुबाला संग जो साहिल ख़ुश होगा ऊपर वाला

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परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’
निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश
सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ काव्य संग्रह सम्पादित, अध्यक्ष साहित्यिक संस्था जौनपुर उत्तर प्रदेश


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